Menu
blogid : 7629 postid : 755456

‘सात’ के रहस्यमयी कवच में छिपी है दुनिया, जानिए इससे कैसे जुड़ी है आपकी जिंदगी

भारत में पति-पत्नी के रिश्ते को बहुत अनमोल माना जाता है और इसी रिश्ते को जोड़ते हैं शादी के सात फेरे. हिंदू विवाह प्रणाली में सात फेरों का अधिक महत्व है. शास्त्रों में इन सभी फेरों की अपनी महत्ता व अर्थ है. यह फेरे वर-वधू को जीवन भर साथ रहने व एक-दूसरे का साथ देने का ज्ञान देते हैं. सात फेरों के दौरान वर-वधू अग्नि को साक्षी मानकर एक-दूसरे को जीवन भर खुश रखने का वचन देते हैं.



wedding


क्यों लेते हैं सात फेरे?


कहा जाता है कि हमारे शरीर में भी सात केंद्र पाए जाते हैं. यदि हम योग की दृष्टि से देखें तो मानव शरीर में ऊर्जा व शक्ति के सात केंद्र होते हैं जिन्हें चक्र कहा जाता है. विवाह के दौरान यज्ञ और संस्कार के वातावरण में इन सात फेरों में सातवें पद या परिक्रमा में वर-वधू एक-दूसरे से कहते हैं हम दोनों अब परस्पर सखा बन गए हैं.


विवाह में सात फेरे ही क्यों?




विवाह के दौरान लिए जाने वाले सात फेरों की हिंदू धर्म में बहुत मान्यता है. लेकिन यहां गौर करने का विषय यह है कि विवाह में वर-वधू सात फेरे ही क्यों लेते हैं? क्या इसकी संख्या इससे ज्यादा या कम भी हो सकती है?


यह तो आपने ही होगा कि जब तक सात फेरे पूरे नहीं हो जाते, तब तक विवाह संस्कार पूरा हुआ नहीं माना जाता. भारतीय संस्कृति के अनुसार यह सात अंक बहुए महत्वपूर्ण है. सालों से ही सात अंक की संख्या मानव जीवन के लिए बहुत विशिष्ट मानी गई है.


Read More: शिव के आंसुओं से रुद्राक्ष की उत्पत्ति का क्या संबंध है, जानिए पुराणों में वर्णित एक अध्यात्मिक सच्चाई


लोक-परलोक तक है सात अंक की महत्ता


saat phere 6


भारतीय संस्कार में विवाह से लेकर लोक-परलोक तक फैला है सात अंक का महत्व. यदि हम नजर घुमा कर देखें तो सूर्य प्रकाश में रंगों की संख्या भी सात होती है. यदि संगीत की बात करें तो इसमें भी स्वरों की संख्या सात है: सा, रे, गा, मा, प , ध, नि. पृथ्वी के समान ही लोकों की संख्या भी सात है: भू, भु:, स्व: मह:, जन, तप और सत्य.


सिर्फ पृथ्वी ही क्यों लोक-परलोक में भी गाया जाता हैं सात अंक की महत्ता का गुणगान. दुनिया में सात तरह के पाताल: अतल, वितल, सुतल, तलातल, महातल, रसातल और पाताल हैं. द्वीपों तथा समुद्रों की संख्या भी मिलकर सात हो जाती है.


Read More: बेबो के साइज ज़ीरो से परेशान सैफ फिर लौट आए अमृता के पास, जानिए कैसे मिले दो बिछड़े लोग


shankha

प्रमुख पदार्थ भी सात ही हैं: गोरोचन, चंदन, स्वर्ण, शंख, मृदंग, दर्पण और मणि जो कि शुद्ध माने जाते हैं. मानव से संबंधित प्रमुख क्रियाएं भी सात ही हैं जैसे कि शौच, मुखशुद्धि, स्नान,

ध्यान, भोजन, भजन तथा निद्रा.


पूज्यनीय जनों की संख्या भी सात ही है: ईश्वर, गुरु, माता, पिता, सूर्य, अग्रि तथा अतिथि. इंसानी बुराइयों की संख्या भी सात है: ईर्ष्या, क्रोध, मोह, द्वेष, लोभ, घृणा तथा कुविचार. वेदों के अनुसार सात तरह के स्नान भी होते हैं: मंत्र स्नान, भौम स्नान, अग्रि स्नान, वायव्य स्नान, दिव्य स्नान, करुण स्नान, और मानसिक स्नान.


दुनिया के हर एक कोने व हर एक विषय में बसे हुए इस सात अंक के महत्व को देखते हुए ही ऋषि-मुनियों ने विवाह की रस्म को सात फेरों में बांधा है.


Read More: कैसे भूकंप आने से सोना उगलती है धरती, इस वीडियो में देखिए कुदरत का चमत्कार



हिन्दू विवाह की स्थिरता के मुख्य स्तंभ होते हैं सात फेरे


सात अंक के महत्व ने भारतीय विवाह में सात फेरों का चलन किया है. यह तो मान्य है कि हिन्दू धर्म में सात फेरों के बाद ही शादी को पूर्ण माना जाता है. यदि एक भी फेरा कम हो तो वह

शादी अपूर्ण है.



saat phere 8


विवाह के दौरान सात फेरों में दूल्हा व दुल्हन दोनों से सात वचन लिए जाते हैं. यह सात फेरे ही पति-पत्नी के रिश्ते को सात जन्मों तक बांधते हैं. विवाह के अंतर्गत वर-वधू अग्नि को साक्षी मानकर इसकी परिक्रमा करते हैं व एक-दूसरे को सुख से जीवन बिताने के लिए वचन देते हैं. विवाह में निभाई जाने वाली इस प्रक्रिया को सप्तपदी भी कहा जाता है.


वर-वधू द्वारा निभाए गए इन सातों फेरों में सात वचन भी होते हैं. हर फेरे का एक वचन होता है और हर एक वचन का अपना अर्थ व मान्यता है. इन वचनों में पति-पत्नी जीवनभर साथ निभाने का वादा करते हैं. यह सात फेरे ही हिन्दू विवाह की स्थिरता का मुख्य स्तंभ होते हैं.


Read More: शिव के सबसे खूबसूरत 5 चेहरों में एक चेहरा धरती पर आज भी इंसानी रूप में रह रहा है, जानिए कैसे पहचानेंगे उस चेहरे को और कहां रहता है वह


क्या है इन वचनों का वैज्ञानिक अर्थ


हिन्दू विवाह रीति में विख्यात इन सात फेरों में लिए गए वचनों का क्या कोई वैज्ञानिक अर्थ भी है? आइए जानते हैं सात फेरों में कन्या द्वारा वर से लिए जाने वाले सात वचनों का वैज्ञानिक अर्थ…


पहला वचन:


saat phere 9


Read More: “अनगिनत बार एलियंस ने अगवा किया मुझे” जानिए दूसरी दुनिया के प्राणियों से रूबरू हुई महिला की कहानी

सात फेरों के पहले फेरे में कन्या वर से कहती है कि यदि आप कभी तीर्थयात्रा को जाओ तो मुझे भी अपने संग लेकर जाना. कोई व्रत-उपवास अथवा अन्य धर्म कार्य आप करें तो आज की भांति ही मुझे अपने वाम भाग में अवश्य स्थान दें. यह पहला वचन पति व पत्नी के साथ होने का संदर्भ बताता है. वैज्ञानिक रूप से भी वर-वधू का एक दूसरे के साथ होना आवश्यक है. यह वैवाहिक जिंदगी को सुखमय व खुशहाल बनाने के लिए लाभदायक माना जाता है.


दूसरा वचन:


saat phere 5


दूसरे वचन में कन्या वर से वचन मांगती है कि जिस प्रकार आप अपने माता-पिता का सम्मान करते हैं, उसी प्रकार मेरे माता-पिता का भी सम्मान करें तथा कुटुम्ब की मर्यादा के अनुसार धर्मानुष्ठान करते हुए ईश्वर भक्त बने रहें तो मैं आपके वामांग में आना स्वीकार करती हूं. यदि इस वचन के वैज्ञानिक अर्थ की बाते करें तो यह वचन सबको एक बंधन में बांधता है. आज के समय में लोगों में छोटी-छोटी बातों को लेकर मन-मुटाव काफी तीव्रता से उत्पन्न होता है जिस कारण रिश्ते बिगड़ते हैं. यह वचन पति-पत्नी को मानसिक रूप से रिश्तों को संजोने में मदद करता है.


Read More: मार्शल आर्ट के संस्थापक भगवान परशुराम ने क्यों तोड़ डाला गणेश जी का दांत?


तीसरावचन:


saat phere 10


तीसरे वचन में कन्या वर से यह मांगती है कि आप मुझे ये वचन दें कि आप जीवन की तीनों अवस्थाओं (युवावस्था, प्रौढ़ावस्था, वृद्धावस्था) में मेरा पालन करते रहेंगे, पल-पल मेरा साथ निभाएंगे. विवाह के इस वचन से पति-पत्नी सभी अवस्थाओं में एक-दूसरे के लिए प्रेरणा का स्रोत बनते हैं. इससे दोनों के मन व मस्तिष्क में वैवाहिक जीवन को लेकर जिम्मेदारियों का एहसास उत्पन्न होता है.


Read More: धृतराष्ट्र गांधारी के पहले पति नहीं थे, तो फिर कौन था? जानिए महाभारत की गाथा का यह अनसुना तथ्य


चौथा वचन:


saat phere 12


विवाह के चौथे वचन में कन्या यह माँगती है कि अब तक आप घर-परिवार की चिन्ता से पूर्णत: मुक्त थे. अब जबकि आप विवाह बंधन में बंधने जा रहे हैं तो भविष्य में परिवार की समस्त आवश्यकताओं की पूर्ति का दायित्व आपके कंधों पर है. विवाह का यह चौथा वचन वर व वधू के विकास का प्रतीक है. वे दोनों शारीरिक व मानसिक दोनों रूप से जीवन में आगे बढ़ने के लिए सक्षम बनते हैं. इस वचन में कन्या वर को भविष्य में उसके उतरदायित्वों के प्रति ध्यान आकृ्ष्ट करती है.


पांचवा वचन:


saat phere 11


Read More: अपनी बेटी के प्रति क्यों आकर्षित हुए ब्रह्मा? ऐसा क्या अपराध हुआ ब्रह्मा से जो शिव ने उनका पांचवां सिर ही काट डाला


शादी के पांचवें वचन में कन्या वर से कहती है कि वो अपने जिंदगी के सभी कार्यों में अपनी पत्नी को भी स्थान दे. वो कहती है कि अपने घर के कार्यों में, विवाहादि, लेन-देन अथवा अन्य किसी हेतु खर्च करते समय यदि आप मेरी भी मन्त्रणा लिया करें तो मैं आपके वामांग में आना स्वीकार करती हूं. इस वचन में वर-वधू अपने वैवाहिक जीवन में अपने व्यक्तिगत अधिकारों को रेखांकित करते हैं. यहां पत्नी पति को अपनी अहमियत बताना चाहती है और यह समझाती है कि अब से उसके जीवन से जुड़ी हर एक बात में वो बराबर की हिस्सेदार है.


छठा वचन:


saat phere 13


Read More: सिर्फ वहम नहीं है यह आवाज, इस अनजानी गूंज को साल 1990 में पहली बार सुना गया


इस वचन में कन्या कहती है कि यदि मैं अपनी सखियों अथवा अन्य स्त्रियों के बीच बैठी हूं तब आप वहां सबके सम्मुख किसी भी कारण से मेरा अपमान नहीं करेंगे. यदि आप जुआ अथवा अन्य किसी भी प्रकार के दुर्व्यसन से अपने आप को दूर रखें तो ही मैं आपके वामांग में आना स्वीकार करती हूं. वर्तमान परिप्रेक्ष्य में इस वचन में गम्भीर अर्थ समाहित हैं. विवाह पश्चात कुछ पुरुषों का व्यवहार बदलने लगता है. वे जरा-जरा सी बात पर सबके सामने पत्नी को डांट-डपट देते हैं. ऐसे व्यवहार से पत्नी का मन कितना आहत होता होगा. यहां पत्नी चाहती है कि बेशक एकांत में पति उसे जैसा चाहे डांटे किन्तु सबके सामने उसके सम्मान की रक्षा की जाए, साथ ही वो किन्हीं दुर्व्यसनों में फँसकर अपने गृ्हस्थ जीवन को नष्ट न कर ले.


सातवां वचन:

saat phere 14


विवाह के अन्तिम व सातवें वचन में कन्या ये वर मांगती है कि आप पराई स्त्रियों को माता के समान समझेंगे और पति-पत्नी के आपसी प्रेम के मध्य अन्य किसी को भागीदार न बनाएंगे. विवाह पश्चात यदि व्यक्ति किसी बाहरी स्त्री की ओर आकर्षित हो जाए तो दोनों के वैवाहिक जीवन पर आंच आ सकती है. इसलिए इस वचन के माध्यम से कन्या अपने भविष्य को सुरक्षित रखने का प्रयास करती है.


Read More:

सावधान! ऐसी लड़कियों से शादी का इरादा रखते हैं तो इसे जरूर पढ़ लें

मां दुर्गा के मस्तक से जन्म लेने वाली महाकाली के काले रंग का क्या है रहस्य?


Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    CAPTCHA
    Refresh