अगर आपको लगता है कि भारत को बेवजह ही विदेशी सांप और सपेरों का देश समझते हैं तो इस आर्टिकल को पढ़िए. पर इससे पहले हम यह स्पष्ट कर देना चाहते हैं कि सांप और सपेरों के देश के वासी कहलाने में हमें किसी प्रकार का शर्म महसूस नहीं करनी चाहिए क्योंकि ये हमारे देश की विशेषता है. हम आज दुनिया से गर्व के साथ कह सकते हैं कि हां हम सांप सपेरों के देश से हैं, पर यह भी सच है कि हम दुनिया की चौथी बड़ी अर्थव्यवस्था हैं. हम सांपों के साथ भी खेलते हैं और मंगल ग्रह तक पहुंचने का माद्दा भी रखते हैं.
इस आर्टिकल में हम भारत के एक ऐसे गांव के बारें में बताएंगे जिसके बारे में अगर कोई विदेशी जानेगा तो सहसा कह उठेगा, ‘देखा, कहते थे न कि भारत सांपों का देश है.’ खैर भारत सांपों का देश है या नहीं यह तो हमें नहीं पता पर हम इस गांव के बारे में यह जरूर कह सकते हैं कि यह सांपों का गांव है वह भी किसी ऐरे गैरे सांपों का नहीं बल्कि भारत के सबसे जहरीले सांपों में से एक कोबरा सांप का जिसे भारत में नाग भी कहा जाता है.
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यह गांव है महाराष्ट्र के शोलापुर जिले का शेतपाल गांव. पूणे से करीब 200 किमी दूरी पर शेतपल अन्य मामलों में भारत के किसी अन्य गांव सा ही है. विकास की रोशनी से दूर एक सोया हुआ गांव पर यह गांव इस मामले में विशेष है कि इस गांव के हर घर में कोबरा सांप के रहने के लिए विशेष व्यवस्था है. कोबरा के विश्राम के लिए यह स्थान छत के पास बनाया जाता है और इस स्थान को देवस्थानम यानी देवताओं का निवास स्थल कहा जाता है. गौरतलब है कि हिंदू मान्यता अनुसार सर्प को भगवान शंकर से संबंधित माना गया है.
इस गांव में घरों में सांप कुछ ऐसे घूमतें हैं जैसे वे कोई खतरनाक जीव न होकर परिवार का हिस्सा ही हों. लोग भी सांपों की उपस्थिति से बेपरवाह अपना-अपना काम करते रहते हैं पर खास बात यह है कि इस गांव में इतने सारे सांपों के होने के बावजूद आजतक इस गांव में सांपों के काटने के कारण किसी की मौत नहीं हुई. इस गांव के लोग सांपों को कभी नहीं मारते. इतना ही नहीं स्कूल और अन्य सार्वजनिक स्थलों पर भी सांप स्वच्छंद विचरण करते हैं.
तो अगली बार आपका कोई विदेशी मित्र आपसे यह कहे कि अब भारत सांप और सपेरों का देश नहीं रहा तो उसे यह गांव घुमाने ले जाएं!! Next…
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