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गणेश लेकर आए हैं हर किसी के लिए जीवन में सफल होने के उपाय, जानिए आपका मंत्र क्या है

हिंदू धर्म में एक नहीं 65 हजार देवी-देताओं की पूजा होती है. सबकी अलग-अलग विशेषताएं हैं. सभी असल जीवन में जीने के खास मंत्र देते हैं. भगवान गणेश विघ्नविनाशक, मंगलमूर्ति माने जाते हैं. देवों में प्रथम पूज्य भगवान गणेश बुद्धि के देवता माने जाते हैं. सांसारिक जीवन में संपूर्ण गणेश अपने आप में जीने की सीख देते हैं. यहां हम बता रहे हैं कि गणेशजी की वेश-भूषा, उनके अस्त्र-शस्त्र और खान-पान सांसारिक जीवन के लिए क्या सीख देते हैं:


Hindu Lord Ganesha




सामान्य भाषा में गणेश का अर्थ है जो ‘आत्म बोध’. जो निरंतर ‘स्व’ के ज्ञान के साथ बाधाओं को दूर करते हुए जीवन जीता है वह गणेश है. गणेश का अर्थ है एक आदर्श मनुष्य. गणेश का एक अर्थ ‘गणों का समूह’ भी है. सांसारिक अर्थों में ‘गणों’ का अर्थ है विभिन्न प्रकार के गुण और ऊर्जा (मनुष्य की प्रवृत्ति). गणेश का सामान्य अर्थ है अपने स्व को पहचानते हुए निरंतर और अनंत ज्ञान की प्राक्ति कर बाधाओं को दूर करते हुए आत्मज्ञान प्राप्त करना. किसी भी काम की शुरुआत से पहले ‘औउम गणेशाय नम:’ मंत्र उच्चारण का अर्थ है कि हम जो भी कर रहे हैं हमारी बुद्धि उसमें हमारे साथ रहे. निम्नलिखित में गणेश के सभी भाव क्या कहते हैं इसकी एक संक्षिप्त व्याख्या पढ़िए:


spiritual meaning of Ganesh

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हाथी का सिर (बड़ा सिर और बड़े कान): हाथी का सिर जो सभी तरफ देख सकता है. एक आदर्श जीवन के लिए इंसान के अंदर की असीमित बुद्धिमत्ता का प्रतीक है. गणेश का साधारण से बड़ा सिर एक सफल और आदर्श जीवन जीने के लिए बुद्धिमत्ता, समझदारी के साथ रहने की सलाह देता है.


इसके अनुसार बुद्धिमत्ता का अर्थ है स्वतंत्र सोच और गहन चिंतन. यह दोनों ही मनुष्य तभी पा सकता है जब उसे आध्यात्मिक ज्ञान हो. आध्यात्मिक ज्ञान के लिए सुनना बहुत आवश्यक है. सुनने से अर्थ है गुरु द्वारा प्राप्त ज्ञान या गुरु से ज्ञान प्राप्त करना. गणेश के बड़े कान इस श्रवण शक्ति को उच्च रखने का प्रतीक हैं. इसका एक अर्थ यह भी है कि इंसान कितना भी बुद्धिमान क्यों न हो उसे हमेशा दूसरों के विचार और सुझावों को अवश्य सुनना चाहिए. सामान्य शब्दों में गणेश इस बात का प्रतीक हैं कि खुले विचारों के साथ दूसरों की राय और सुझावों को सुनकर उसमें से अपने लिए अनुकूल का चयन कर अमल करने वाला ही बुद्धिमान है.


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छोटा मुंह: कम बोलो.

बड़ा सिर: बड़ा सोचो.

बड़े कान और छोटा मुंह: सुनो ज्यादा, बोलो कम.


सूंड: एक तीव्र (विकसित) बुद्धि का प्रतीक है जो समझदारी से आती है. इस एक सूंड से एक बड़े वृक्ष को भी उखाड़कर फेंका जा सकता है और सुई को जमीन से भी उठाया जा सकता है. मतलब यह इंसान को संपूर्ण शक्तिशाली बनाता है, सभी परेशानियों को हल कर सकने में सक्षम बनाता है.


मनुष्य में दो प्रकार की बुद्धि होती है एक ‘स्थूल’ और दूसरी ‘तीव्र (तीक्ष्ण या सूक्ष्म बुद्धि)’. स्थूल बुद्धि हमेशा विपरीत आभासों की पहचान करती है जैसे काला-उजला, कठोर-मुलायम, आसान-कठिन आदि जबकि तीव्र बुद्धि सही-गलत, स्थायी-अस्थायी आदि के बीच अंतर की पहचान करती है. आत्मज्ञानी इंसान में ये दोनों ही बुद्धि विकसित होते हैं. ऐसे इंसानों की सोच प्रखर होती है और यह सही-गलत की पहचान कर सकने में सक्षम होता है. इस विकसित सोच के बिना इंसान एक स्पष्ट सोच नहीं रख पाता और हमेशा भ्रमित रहता है लेकिन जिसने इस स्पष्ट बुद्धि को पा ली उसका पूरा जीवन आसान हो जाता है. यह सूंड इसी अत्मज्ञानी बुद्धि का प्रतीक है.


इसका एक और अर्थ यह भी है कि आत्मज्ञानी और बुद्धिमान मनुष्य संसार में विरोधाभासी विचारों से बहुत दूर रहता है. उसे अपनी इच्छाओं पर नियंत्रण होता है और पसंदगी-नापसंदगी जैसी चीजों से बहुत दूर रहते हुए वह अपने लिए सही का चुनाव कर लेता है.




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एकदंत: अच्छे को रखो, बुरे को छोड़ दो (अच्छी आदतें रखकर बुरे को दूर कर दो). गणेश की बाईं तरफ का दांत टूटा है. इसका एक अर्थ यह भी है. मनुष्य का दिल बाईं ओर होता है. इसलिए बाईं ओर भावनाओं का उफान अधिक होता है जबकि दाईं ओर बुद्धि परक होता है. बाईं ओर का टूटा दांत इस बात का प्रतीक है कि मनुष्य को अपनी भावनाओं को अपने बुद्धि से नियंत्रण में रखना चाहिए. इसका दूसरा अर्थ है कि मनुष्य को पूरे विश्व को एक समझना चाहिए और खुद को उस विश्व का आंतरिक हिस्सा.


छोटी आंखें: एकाग्र चित्त. अपने लक्ष्य पर केंद्रित रहो. मन को भटकने मत दो.


बड़ा पेट: अच्छी-बुरी सभी बातों/भावों को समान भाव से ग्रहण करना/समान भाव में लेना. दूसरे शब्दों में यह मनुष्य को उदार प्रवृत्ति का होने की सीख भी देता है.



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चारों हाथों के अलग-अलग भाव और शस्त्रों के अर्थ:

कुल्हाड़ी: भावनाओं/मोह-माया से दूर रहना. दूसरे शब्दों में यह मनुष्य को अध्यात्मिक होने की सलाह देता है. अध्यात्मिकता की कुल्हाड़ी से इच्छा (भोग-विलासतापूर्ण) का विनाश. इसका एक अर्थ यह भी है कि बुद्धिमान मणुष्य पर अपने पुराने अच्छे-बुरे सभी कर्मों के प्रभाव से मुक्त (कटा) रहता है और खुशहाल जीवन जीता है.

हाथों में रस्सी: अपने लक्ष्य की ओर हमेशा अग्रसर रहना. लक्ष्य की ओर आगे बढ़ते रहने के लिए हर संभव प्रयास करना. अध्यात्मिक दृष्टिकोण से यह रस्सी भौतिकवादी संसार से बाहर निकलने के लिए हमेशा प्रयासरत रहने की प्रेरणा देता है.

कमल: जैसे कीचड़ में होने के बावजूद कमल खिलता है और उसी में रहते हुए अपना अस्तित्व बरकरार रखता है उसी प्रकार संसार में रहते भी तमाम विषमताओं/विरोधों-परेशानियों का सामना करते हुए भी मनुष्य जीवन को मुक्त भाव से जीता है और अपनी विशेषताओं को खत्म नहीं देता.

आशीर्वाद की मुद्रा में हाथ: उच्च कार्यक्षमता और अनुकूलन क्षमता. परिस्थितियों के अनुसार खुद को ढाल लेने की क्षमता विकसित करने वाले की हमेशा जीत होती है. इसका एक अर्थ यह भी है कि बुद्धिमान मनुष्य अपने साथ हमेशा दूसरों के भले का भी सोचता है.




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नीचे की ओर हाथ: मतलब एक दिन हर किसी को मिट्टी में मिल जाना है.

लड्डू (मोदक): साधना का फल अवश्य मिलता है. यहां एक और बात यह है कि भगवान गणेश की किसी भी मुद्रा में उन्हें लड्डू खाते नहीं दिखाया जाता. इसका एक अर्थ यह भी है कि बुद्धिमान मनुष्य को पुरस्कार तो मिलते हैं लेकिन वह उन पुरस्कारों के मोह में कभी बंधता नहीं और उनके कुप्रभावों से हमेशा दूर ही रहता है.


Lord Ganesha in Hindu Religion



चूहे की सवारी: इच्छाओं का प्रतीक है. जैसे चूहा की इच्छा कभी पूरी नहीं होती, उसे कितना भी मिले हमेशा खाता ही रहता है वैसे ही मनुष्य की इच्छाएं भी कितना भी मिले कभी तृप्त नहीं होतीं. गणेश हमेशा चूहे की सवारी करते हैं. इसका अर्थ है कि बेकाबू इच्छाएं हमेशा विध्वंस का कारण बनते हैं. इसलिए इन इच्छाओं को काबू में रखते हुए इसे अपने मनमुताबिक मोड़ो, न कि इन इच्छाओं के मुताबिक खुद को बहाओ.


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Hindu Deities



एक पैर पर खड़ा होने का भाव: गणेश की यह अवस्था यह बताती है कि हालांकि दुनिया में रहते हुए मनुष्य को सांसारिक कर्म भी करने जरूरी हैं वस्तुत: इस सबमें एक संतुलन बनाए रखते हुए उसे अपने सभी अनुभवों को परे रखते हुए अपनी आत्मा से भी जुड़ाव रखना चाहिए और अध्यात्मिक होना चाहिए. जीवन में अपने अध्यात्मिक लक्ष्यों को कभी उपेक्षित नहीं करना चाहिए.


Significance of Lord Ganesha


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गणेश के पैरों में प्रसाद: धन और शक्ति का प्रतीक है. इसका अर्थ है कि जो अपना जीवन सत्य की राह पर जीते हैं उन्हें संसार पुरस्कार जरूर देता है. अपने क्षेत्र में अध्यात्मिक ज्ञान अर्जित करने वालों को सम्मान और धन अवश्य मिलता है चाहे उन्होंने इसकी कामना न की हो.


प्रसाद के बारे में एक रोचक बात यह भी है कि भगवान गणेश के चित्रों में प्रसाद के साथ ही एक चूहा भी अवश्य रहता है और वह गणेश जी की तरफ देख रहा होता है. इसका अर्थ है कि पुरस्कार पाने के बाद भी इंसान को अपनी इच्छाओं और भावनाओं को काबू में रखना चाहिए.


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