जब कभी हमारे सामने किसी भी चीज का कोई ऐसा उदाहरण आता है जिसके होने का ख्याल हमें सपनों में भी ना आया हो, तो हम आश्चर्यचकित हो जाते हैं. तब दिमाग में सीधे एक बात आती है कि ‘यदि ऐसा कुछ हो सकता है तो यह दुनिया बेमिसाल है, यहां कुछ भी हो सकता है’. कुछ ऐसे ही जलवे हमें दिखाता है विज्ञान जिसके भीतर कई चमत्कार समाए हैं जो हमें अविश्वसनीय तो लगते हैं लेकिन बेशक वे सत्य हैं.
बिना दिल वाली लड़की
इंसानी शरीर में ह्रदय यानि कि दिल की बहुत बड़ी अहमियत होती है और यदि उसे शरीर से अलग कर दिया जाए तो वह इंसान जिंदा नहीं बच सकता. परंतु 14 वर्षीय डी’ज्हाना सिमोन्स की कहानी सुन आश्चर्य होता है. डॉक्टरों के मुताबिक सिमोन्स का दिल सामान्य आकार से काफी बड़ा था जिस कारण उन्होंने रक्त परिसंचरण का ध्यान रखते हुए उसके शरीर में दो नकली पम्प लगा दिये.
आम तौर पर इन नकली पम्प के साथ असली ह्रदय को भी मानव के शरीर में रहने दिया जाता है लेकिन सिमोन्स के मामले में उसके असली दिल को बाहर निकाल शरीर से अलग कर दिया गया. पूरे 118 दिनों बाद जब एक स्वस्थ दिल मिला तो हृदय प्रत्यारोपण की मदद से उसे सिमोन्स के शरीर में लगाया गया. आश्चर्य होता है लेकिन यह सत्य है कि इतने दिनों तक नकली पम्प ने सिमोन्स को जीवित रखा.
500 फीट की ऊंचाई लेकिन बच गया
थोड़ी सी ऊंचाई से गिरने पर हम ना जाने कितने दिनों के लिए बिस्तर पकड़ लेते हैं लेकिन अमेरिका के इस शख्स की कहानी कुछ अलग है. 37 साल के अलसाएड्स मोरेनो न्यूयॉर्क स्काएस्क्रैपर की मंजिल के बाहरी शीशों की सफाई कर रहा था जब अचानक जिस तख्ते पर वो खड़ा था वो टूटा और उसका भाई और वो 500 फीट की ऊंचाई से तकरीबन 47 माले नीच गिरे.
इतनी ऊंचाई से गिरने के बाद मोरेनो के भाई की मृत्यु हो गई लेकिन मोरेनो कोमा मे चला गया. तीन हफ्तों बाद ही वो होश में आया और फिर जल्द ही उसे डॉक्टरों द्वारा छुट्टी मिल गई वो भी इस मैसेज के साथ कि मोरेनो जल्द ही अपने पांव पर आसानी से खड़ा हो सकेगा. इतनी ऊंचाई से गिरने के बावजूद वो आज जिंदा है.
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गोंद ने बचाई उस मासूस की जान
17 महीनों की एला ग्रेस हनीमैन को एक अजीब किस्म की दिमागी बीमारी थी जिसका नाम है ‘वीन ऑफ गेलेन मालफोर्मेशन. इस बीमारी के कारण एला के दिमाग के नसों में छेद हो गए थे जिससे अजीब तरीके से रक्त आना शुरु हो जाता था, जो दिमाग में भर जाता था. डॉक्टरों के मुताबिक इस कारण उसकी जान भी जा सकती थी. कई बार इलाज करने पर भी डॉक्टर उन छेदों को भर पाने में असफल रहे लेकिन फिर डॉक्टरों ने उन छेदों को एक गोंद से चिपका दिया और आप यकीन नहीं करेंगे ऐसा करना सफल हुआ और एला अब स्वस्थ रूप से अपना जीवन व्यतीत कर रही है.
दांत का चमत्कार
एक सड़क हादसे में 40 वर्षीय मार्टिन जोन्स ने अपनी आंखों की रोशनी गवा दी. जोन्स की आंखों की रोशनी वापस लाने के लिए डॉक्टरों ने एक अजीब लेकिन जोखिम से भरा हुआ इलाज निकाला. उन्होंने एक दांत को उसकी आंख में सर्जरी की मदद से फिक्स किया. उस दांत को उसकी आंखों में एक धारक की तरह इस्तेमाल किया गया जिसने उसकी त्वचा से लगे लैंस को बाहर निकाला. यह ऑप्रेशन सफल हुआ और अब जोन्स आसानी से सारी दुनिया को देख सकता है.
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बस किसी तरह बच गई वो
शैनन मेलोए ने एक बहुत बड़े हादसे को अपनी आंखों से देखा है. एक कार हादसे में वो काफी जोर से कार के सामने वाले डैशबोर्ड पर गिरी जिस कारण उसकी खोपड़ी उसकी स्पाइन से अलग हो गई. उसे जल्दी से अस्पताल में भर्ती कराया गया जहां ऑप्रेशन के दौरान डॉक्टरों ने उसकी गर्दन में पांच पेच लगाए और फिर चार पेच उसके सिर में भी लगाए. इसके बाद सिर व गर्दन के हिस्से को स्थिर बनाए रखने के लिए एक गोलाकार मेटल वस्तु को दोनों के बीच जोड़ा गया.
यह ऑप्रेशन उतना सफल ना रहा जितना डॉक्टरों ने सोचा था. तकरीबन 5 बार मेलोए की गर्दन अपनी जगह से हिल गई और फिर से डॉक्टरों की टीम ने पेच कसकर उसे स्थिर बनाया. आखिरकार उन्होंने बेजान सी पड़ी मेलोए को एक जीवन प्रदान किया था.
यह तो चमत्कार था
शैनन व माइक गिम्बेल, एक जोड़ा जिन्हें जुड़वा बच्चे होने वाले थे, उन्हें डॉक्टर ने बताया कि मां के पेट में पल रहे बच्चे कुछ रक्त वाहिकाओं की चपेट में आए गए हैं. डॉक्टर ने सलाह दी कि या तो दोनों में से किसी एक बच्चे को जन्म से पहले ही खत्म कर दिया जाए नहीं तो दोनों बच्चे जन्म से पहले खुद ही मर जाएंगे. डॉक्टरों की सलाह पर दोनों ने कमजोर बच्चे को जन्म ना लेने का फैसला किया लेकिन चमत्कार देखिये, अचानक डॉक्टरों की टीम द्वारा एक ऐसा सुझाव मिला जिस कारण उन रक्त वाहिकाओं को उस स्थान से हटाया गया और फिर दो महीनों के अंदर ही उस मां ने दो हष्ट-पुष्ट बच्चों को जन्म दिया.
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एक इलेक्ट्रोड का कमाल
यह एक ऐसे इंसान की कहानी है जिसने एक दुर्घटना में अपने बोलने, कुछ हरकत करने की शक्ति को खो दिया था. वो 6 वर्षों तक ऐसा ही रहा लेकिन एक दिन अचानक डॉक्टरों ने उसके दिमाग में इलेक्ट्रोड (एक तरह की तार) डालने का फैसला किया. ऑप्रेशन से ऐसा करना संभव हुआ और अचानक से वो इंसान बोलने लगा, काम करने लगा, अपना खाना खुद खाने लगा व अपने साथियों से बातचीत करने लगा. यह केवल उस एक तार से हुआ जिसने उसके दिमाग के सेंसरों को जीवित किया.
रॉड हुई थी खोपड़ी से पार
सन् 1848, यह तब की बात है जब फिनियस गेज नाम का वो शख्स एक फेक्ट्री में काम कर रहा था और अचानक जोर का एक धमाका हुआ. एक डंडा उड़ता हुआ काफी तेजी से उसकी ओर आया और उसके गालों को चीरता हुआ उसके सिर की ओर से बाहर निकला और वहीं फंस गया. इतना दुखदेह व दर्दनाक हादसा जिसके कारण शायद फिनियस वहीं मर जाता लेकिन डॉक्टरों ने तुरंत ऑप्रेशन किया और उस रॉड को उसके चेहरे से अलग किया. यह चमत्कार ही है कि फिनियस उस हादसे से उभर कर जीवित बच गया.
इन सब संक्षिप्त कहानियों को पढ़ने के बाद शायद आप कुछ पर तो अब भी यकीन नहीं कर पा रहे होंगे लेकिन यह केवल कहानियां नहीं हैं. यह उन लोगों के जीवन की किताब के वो पन्ने हैं जिन्होंने अचानक हमेशा के लिए बिखर जाने से पहले खुद को समेट लिया.
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