वह तीन साल की थी. दुनिया से अनजान अपनी ही दुनिया में रमी हुई. उसकी अपनी दुनिया में एक माँ और दूसरे बाप के वज़ूद का उसे एहसास हमेशा एहसास होता रहता था. धीरे-धीरे समय के बढ़ने के साथ ही उसका शरीर यौवनावस्था को प्राप्त करने लगा. शारीरिक परिवर्तन के साथ ही उसका दिल भी अब किसी के लिए धड़कने लगा. उसने अपने जीवनसाथी के रूप में किसी का चयन नहीं किया था, लेकिन उसके दूसरे पिता जैसे लड़के को जीवनसाथी के रूप में देखना उसकी ख़्वाहिश थी.
ख़्वाहिशों के पूरे होने की कोई गारंटी नहीं होती. ओरोला डल्बोट नामक युवती की ख़्वाहिशें भी अपवाद नहीं थी. तीस साल की हो चुकी ओरोला को यह पता चला कि उसकी शादी तो 03 वर्ष की उम्र में पहले ही हो चुकी है. पर, इससे ज्यादा झटका उसे तब लगा जब उसने यह जाना कि उसके दूसरे पिता और पति नोटैन नामक एक ही पुरूष हैं. यह किसी युवती को हिला देने के लिए काफी है कि जिसे वह अपनी माँ के पति के रूप में अब तक जानती आ रही है वह उसका भी पति है.
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उसने अपना पिता को जन्म से पहले ही खो दिया था. लेकिन, जनजातीय परम्पराओं के अनुसार उसकी माँ मिट्टामोनि को अपने पति के किसी वंशज से ही शादी करनी पड़ती. अपने पति के वंशज से विधवा मिट्टामोनि और उसकी बेटी की शादी के पीछे दो मुख्य कारण थे. पहली यह कि परिवार को एक जानी-पहचानी, वंश बढ़ाने में सक्षम युवती मिल जाती और दूसरी, संपत्ति की रक्षा के लिए माँ की एक वंशज मिल जाती है. इस प्रकार लड़के और लड़की दोनों के वंशज संपत्ति की रक्षा सुनिश्चित करने में सक्षम हो जाते हैं.
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बांग्लादेश के जनजातीय गाँव में सह-विवाह का मकसद केवल पति की यौनेच्छाओं की तृप्ति ही नहीं होती. इसका संबंध सत्ता और अर्थ से ज्यादा होता है. इस मामले में बांग्लादेश की मंडी अथवा गारो जनजाति अपवाद स्वरूप नहीं है. यही कारण है कि ओरोला की शादी उसकी माँ मिट्टामोनि के साथ ही नोटेन से करा दी गयी थी.Next….
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