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कहीं आप तो नहीं हैं ‘मिस्ड कॉल फोबिया’ के शिकार, जानिए क्या हैं इसके लक्षण

मिस्ड कॉल का नाम सुनते ही किसी के चेहरे पर खुशी, किसी के चेहरे पर झुंझलाहट, किसी के चेहरे पर हँसी और किसी के चेहरे पर गर्व का भाव आ जाता है. ये सारे भाव स्वभाविक हैं. पर सिर्फ एक मिस्ड कॉल का नाम सुनने से चेहरों पर इतने सारे भाव आना मिस्ड कॉल का भाव बढ़ा देता है. बढ़े भी क्यूँ ना भाई, जहाँ आजकल हँसी में मिलावट होने से उसके दर्शन दुर्लभ हो गए हैं वहीं मिस्ड कॉल का नाम ले लेने भर से चेहरों पर इतने सारे भाव तैर जाना आश्चर्यजनक ही तो है.


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मिस्ड कॉल की उत्पत्ति कैसे


मिस्ड कॉल की उत्पत्ति की अनेक अवधारणाएँ प्रचलित हैं. इसकी उत्पत्ति पर विद्वानों में मतभेद भी इसकी एक वजह है. कोई कहता है कि मुँहमाँगी दहेज न मिल पाने के कारण किसी पति ने अपनी सास-ससुर से मुँह फुला लिया. अब पत्नी को जब भी मायके बात करनी होती तो पति दहेज की बात करता और झल्लाते हुए कहता कि ‘’फोन करने के पैसे लगते हैं.’’ अंत में पत्नी ने तंग आकर एक उपाय निकाला. वह अपनी माँ को फोन करती और जैसे ही उसे माँ के फोन पर रिंग होने की आवाज़ आती वो झट से अपना कॉल काट देती. उधर माँ फोन पर बेटी का कॉल देख तुरंत उसे फोन लगाती. इस तरह बेटी की बात माँ से होती रहती. धीरे-धीरे यह बात पूरे मोहल्ले में फैल गई. आसपास इस विषय पर लंबी-लंबी चर्चा हुई जिसकी वजह से समाज में इसे एक जरूरत और सच्चाई के रूप में स्वीकारा गया.


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मिस्ड काल एक, नाम अनेक


नामकरण के बाद इसका प्रयोग बढ़ गया. जिसे देखो वही इसका प्रयोग करने लगा. तब ऐसे लोगों की पहचान शुरू हुई जो मिस्ड कॉल से अपना काम चलाते थे. इसी पहचान के क्रम में मिस्ड कॉल का वर्गीकरण हुआ.


1. फोन उठा पाने का समय न मिलने के कारण जो कॉल मिस्ड हो गई उसे ‘स्वाभाविक मिस्ड कॉल’ कहा गया.


2. ऐसी परिस्थिति जहाँ लोगों के पास उसकी गर्लफ्रेंड या ब्वॉयफ्रेंड हो, या सड़क पर गाड़ी चलाते हुए जब कोई कॉल मिस्ड हो गया तो उसे ‘परिस्थितिजन्य मिस्ड कॉल’ कहा जाने लगा.


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3. कई मिस्ड कॉल योजना बना कर की जाती है. इसमें सेकेंड के न्यूनतम अंतराल को ध्यान में रख कॉल को मिस करवाया जाता है. ऐसे मिस्ड कॉल को ‘इरादतन मिस्ड कॉल’ नाम दिया गया. इस प्रकार का मिस्ड कॉल लोगों के मूड को तुरंत बदलने में सक्षम होता है. आप बहुत खुश हैं और एकाएक ये मिस्ड कॉल आकर आपको झुंझलाहटों से भर सकती है.


फिल्मी सितारे कराते हैं मिस्ड कॉल


मिस्ड कॉल की प्रवृत्ति को बढ़ावा देने में फिल्मी सितारों का बहुत बड़ा योगदान हैं. मिस्ड कॉल करने वाले सितम ढ़ाहना छोड़ देते अगर करीना कपूर ने ठुमका लगाते हुए सलमान से ये न कहा होता ‘’मैं तो कब से हूँ रेडी तैयार, पटा ले सईंया मिस्ड कॉल से’’. लेकिन, एक भोजपुरी फिल्मी सितारे ही हैं जिनका मिस्ड कॉल करने वालों से प्यार सबसे ज्यादा सराहा गया है. ऐसा तब है जब वो मिस्ड कॉल करने वाले से सीधे पूछते हैं ‘’मिस कॉल मारे तारू, कीस देबू का हो?’’ सच है, प्यार से ही आदत सुधारी जा सकती है.


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