कोई महिला स्वतंत्र रूप से किसी निर्णय पर जाए खाड़ी के देशों में आसान नहीं है. उसे बहुत तरह की दुश्वारियों से गुजरना पड़ता है. 17 साल की किशोर ‘घीदा चमासडिन’ ने भी जब फैसला किया कि वह डब्ल्यूडब्ल्यूई से प्रभावित होकर रेस्लिंग की दुनिया में कदम रखेगी तो उसके आसपास के लोग, मित्र और सगे-संबंधित उसे हैरत भरी नजरों से देखने लगे. रिंग में जॉले हंटर के नाम से मशहूर घीदा जब टाइट लैदर के कपड़े पहनकर रिंग में उतरती हैं और अपने से ज्यादा शक्तिशाली पहलवानों को पटकनी देती हैं तो उन्हें खुशी होती है कि जो उन्होंने फैसला लिया है उसमें कोई गलती नहीं की है.
अरब देश की पहली महिला प्रो-रेस्लर घीदा चमासडिन की हाइट मात्र 5 फिट 4 इंच है लेकिन जब वह अपने विरोधियों के सामने होती हैं तो उसे विशेष तरह की तकनीक से मात देने की पूरी कोशिश करती हैं. वह इस तरह के दांवपेच का इस्तेमाल करती हैं जिससे विरोधी तड़पकर अपनी हार मान ले. हाल ही में घीदा चमासडिन का सामना कर चुके 19 साल के मिसेल नासिफ कहते हैं “घीदा मर्दों की तरह रिंग में लड़ती हैं.”
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लेबनान में जन्मी और सउदी अरब में पली बढ़ी घीदा चमासडिन दुबई प्रो-रेस्लिंग अकैडमी में हफ्ते में तीन बार रेस्लिंग के दांवपेच को सिखती हैं. इस अकैडमी की स्थापना अमेरिकी पहलवान कालेब हॉल ने की. खाड़ी देश में महिला रेस्लिंग को लेकर कालेब हॉल कहते हैं “डब्ल्यूडब्ल्यूई महिला रेस्लिंग एक सामान्य सी बात है लेकिन खाड़ी देश में नहीं. हम घीदा चमासडिन के अलावा और भी लड़कियों को इस खेल में आते हुए देखना चाहते हैं.” तमाम तरह की सामाजिक विसंगतियों के बीच आज घीदा चमासडिन स्थानीय स्तर पर बहुत ही प्रसिद्ध हो रही हैं.
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रेस्लिंग के प्रति अपनी दीवानगी को जाहिर करते हुए घीदा चमासडिन कहती हैं, “जब मैं किशोर हुई तब मैने टीवी के जरिए रेस्लिंग के बारे में जाना. मैं रेस्लिंग से प्यार करती हूं इसलिए मैंने इसे अपनाया.” घीदा आगे कहती हैं कि “मेरे परिवार की तरफ मुझे पूरा समर्थन है.”
घीदा के अनुसार, “मैं एक दिन डब्ल्यूडब्ल्यूई-प्रो की महान खिलाड़ी बनना चाहती हूं. मैं उम्मीद करती हूं कि मैं ज्यादा से ज्यादा महिलाओं को इस खेल की ओर प्रेरित कर सकूं. मैंने कई महिलाओं को देखा है लेकिन मैंने विशेष तौर पर अपनी मां को देखा है क्योंकि वह वही इंसान हैं जिन्होंने मुझे बनाया है और जो मैं आज हूं.”…Next
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