26 साल के जगदीश राठौड़ का बैंक बैलेंस 1.5 करोड़ रुपए है लेकिन फिर भी वो एक स्टोर ऑफिसर के पद पर रहकर 12,000 प्रतिमाह की नौकरी कर रहे हैं. ऐसा करने वाले वो एकलौते इंसान नहीं हैं बल्कि गुजरात के साणंद में रहने वाले अधिकतर लोगों की यही दिलचस्प कहानी है. रविराज फोइल्स लिमिटेड के 300 कर्मचारियों में से करीब 150 कर्मचारियों का बैंक बैलेंस एक करोड़ रुपये है. आपको जानकर हैरानी होगी कि फिर भी ये लोग 9,000 से 20,000 के बीच के वेतन में काम कर रहे हैं.
इसीलिए कर्मचारी कंपनी में बिना नोटिस पीरियड दिये ही नौकरी छोड़कर भाग जाते हैं
साथ ही ये लोग फैक्ट्रियों में मशीन ऑपरेटर्स, फ्लोर सुपरवाइजर्स, सिक्योरिटी ग़ॉर्ड और यहां तक कि चपरासी का काम कर रहे हैं. साल 2008 में पश्चिम बंगाल के सिंगूर से जब टाटा मोटर्स ने यहां अपना प्लांट लगाया था, तब से साणंद औद्योगीकरण का बड़ा हब बनकर उभरा है. जीआईडीसी के तहत यहां 200 छोटी-बड़ी कंपनियों के यूनिट स्थापित किए गए हैं. जिन लोगों को भूमि अधिग्रहण के बदले में मोटी रकम मिली है, उन्होंने इसे सोने, बैंक डिपॉजिट्स आदि में निवेश कर रखा है. टाटा का प्लांट आने से पहले यहां सिर्फ दो बैंकों की नौ शाखाएं ही थीं, जिनमें करीब 104 करोड़ रुपये जमा रहते थे.
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अब बीते कुछ सालों से यहां 25 बैंकों की 56 शाखाएं हैं, जिनमें कुल जमा तीन हजार करोड़ रुपये है. रविराज फॉइल्स के प्रबंध निदेशक जयदीप वाघेला के मुताबिक हमारे लिए इन लोगों को काम पर रोकना बहुत ही चुनौतीभरा हो गया है. क्योंकि इनके लिए ये नौकरी आय का एकमात्र साधन नहीं है.’ दूसरी ओर करोड़पति होते हुए भी इन लोगों का कम वेतन पर काम करने का कारण ये भी है कि इनके पास घर पर करने को कुछ भी नहीं है और ये लोग आलसी बनना पसंद नहीं करते...Next
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