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मां को बचाने के लिए सात साल के इस मासूम ने कैसे चुन ली अपनी मौत

वह शायद अपनी मां को बचाने के लिए ही इस दुनिया में आया था, वरना 7 साल का मासूम अचानक इतना बड़ा कैसे हो गया कि वह समझने लगा अगर उसने कुछ नहीं किया तो उसकी मां की मौत हो जाएगी. कहीं ना कहीं उसे यह पता था कि वह अब ज्यादा दिनों का मेहमान नहीं है इसलिए तो जाते-जाते उसने एक ऐसा काम कर दिया कि मरने के बाद भी वह अपनी मां के शरीर का एक ऐसा हिस्सा बनकर जी रहा है, एक ऐसा हिस्सा जो कभी उससे अलग नहीं होगा. हां, उसके परिवार को उसकी मौत का गम तो है लेकिन इस बात की खुशी भी है कि आज भी वह किसी ना किसी रूप में उनके बीच मौजूद है.


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शेन महज सात साल का था जब उसके परिवार वालों को उसके ब्रेन ट्यूमर के बारे में पता चला और कुछ ही महीने बाद यह बात सामने आ गई कि उसकी मां ज्यो लू को भी किडनी की ऐसी बीमारी है जिससे उसकी जान कभी भी जा सकती है. लंबे समय तक दोनों अपनी इस बीमारी से लड़ते रहे लेकिन ट्यूमर की वजह से धीरे-धीरे शेन का शरीर काम करना बंद करता गया, उसकी आंखों ने उसका साथ छोड़ दिया.


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डॉक्टर और उसका परिवार यह जानता था कि शेन कभी भी मर सकता है और साथ-साथ वह ये भी अच्छी तरह समझते थे कि उसकी मां, जिसे किडनी की जरूरत है, के लिए शेन की किडनी पर्फेक्ट मैच है. पर ज्यो ने उसकी किडनी लेने से साफ मना कर दिया. जैसे ही शेन को पता चला कि उसकी मां ने उसकी किडनी लेने से मना कर दिया है, वह अपनी मां के पास गया और उन पर दबाव बनाने लगा कि वह उसकी किडनी लेकर अपनी जान बचा ले. शेन कुछ भी कर के अपनी मां को बचाना चाहता था और इसके अलावा उसके या फिर डॉक्टरों के पास तक कोई और तरीका नहीं था. शेन जानता था कि वह ज्यादा दिनों का मेहमान नहीं है, ऐसे में उसने अपनी मां को किडनी लेने के लिए मना लिया. ज्यो को शेन की किडनी मिल गई और 2 अप्रैल, 2014 को शेन ने छोटी सी उम्र में दुनिया को अलविदा कह दिया. ऑपरेशन के बाद भी डॉक्टरों को यह डर था कि ज्यो बच पाएगी या नहीं लेकिन अपने बेटे की आखिरी निशानी अपने साथ समेटे ज्यो जी रही है.


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मासूम सी उम्र में इतना बड़ा त्याग करने वाले शेन की हिम्मत देखकर सभी हैरान हैं. उसके ऑपरेशन से पहले डॉक्टरों ने कुछ समय के लिए मौन धारण किया. सभी ने नम आंखों ने शेन को अलविदा कहा और उसकी बहादुरी को सलाम किया.


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मां और बच्चे के बीच के भावनात्मक रिश्ते को कभी कोई समझ नहीं सकता. बच्चे की खुशी के लिए कुछ भी कर गुजरने के लिए तैयार एक मां अपने बच्चे को बचाने के लिए किसी भी हद तक जा सकती है लेकिन जब एक बेटा अपनी मां को बचाने के लिए अपनी जान देता है तो यह मां-बच्चे के बीच के संबंध को एक अलग मुकाम तक पहुंचा देता है.


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