‘दूधों नहाओ पूतो फलो’ आपने पुरानी फिल्मों में या बुर्जुगों के दिए जाने वाला ये आशीर्वाद जरूर सुना होगा. जरा सोचिए, देश इतनी तरक्की कर चुका है, लेकिन दुनिया अभी भी बेटा होने का आशीर्वाद देती है. महिला सशक्तिकरण की बात हर कोई करता है, लेकिन बेटी किसी को नहीं चाहिए. भारत में आपने ऐसी कई जगहों के बारे में सुना होगा जहां महिला दर बहुत कम है लेकिन क्या आप देश के ऐसे घराने के बारे में जानते हैं, जहां पर 500 सालों से एक भी बेटा पैदा नहीं हुआ. माना जाता है कि बेटा पैदा न होने का कारण है एक रानी का दिया हुआ श्राप है.
रानी ने दिया था श्राप
1612 में वाडेयार ने विजयनगर एम्पायर के महाराजा तिरुमलराजा को हराकर मैसूर में यदु राजवंश की स्थापना की. तब तिरुमलराजा की पत्नी रानी अलमेलम्मा गहने लेकर जंगल में छिप गई, लेकिन वाडेयार के सैनिकों ने उन्हें ढूंढ निकाला. सैनिकों ने उन्हें ढूंढकर निकाला तो वो हंसते हुए अपने बाहुबल का परिचय देकर बोले ‘एक स्त्री होकर तुम कहां तक भाग पाओगे. तुम कहीं की भी राजकुमारी बन जाओ, लेकिन रहोगी हमसे कमतर एक स्त्री’. रानी अपने अपमान से बहुत क्रोधित हो गई. खुद को चारों तरफ से घिरा देखकर रानी कावेरी नदी में कूद गईं.
नदी में डूबते वक्त रानी ने श्राप दिया. तुम पुरूष होने का अंहकार पालकर बैठे हो, इसलिए तुम्हारा ही नहीं इस पूरे राजवंश का अंहकार टूटेगा. उस वंश में अब कोई उत्तराधिकारी पैदा नहीं होगा.’ तब से कभी वाडेयार राजा-रानी को पुत्र नहीं हुआ. यह सिलसिला पिछले तकरीबन 500 सालों से भी ज्यादा समय से चला आ रहा है. तब से राजवंश की महारानियों को राज परिवार के किसी सदस्य को वारिस के तौर पर गोद लेना होता है.
अब ये बात कितनी सच है ये कहना तो मुश्किल है, लेकिन 500 सालों में इस राजवंश में एक भी पुत्र न होने पर वैज्ञानिक भी कोई तर्क नहीं दे पाएं हैं…Next
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