उसके पास नौकरी पाने लायक डिग्री है. उसका बॉयोडाटा देखकर उसकी काबिलियत का अंदाजा खुद लगाया जा सकता है. वो पिछले 6 महीनों में 40 बार रिजेक्ट हो चुका है. उसकी रिजेक्शन की वजह बन गया है उसका नाम. सद्दाम हुसैन जब भी किसी ऑफिस में इंटरव्यू के लिए जाते हैं, उन्हें उनका नाम देखते ही रिजेक्ट कर दिया जाता है. जमशेदपुर में रहने वाले सद्दाम हुसैन तमिलनाडु के नुरुल इस्लाम यूनिवर्सिटी से पास आउट हैं. वे 2014 में मरीन इंजीनियर बने थे. लेकिन अपनी क्लास में फर्स्ट डिवीजन से पास होने और सेकेंड आने के बाद भी वे एक भी नौकरी पाने में नाकाम रहे.
25 साल की उम्र में सद्दाम 6 महीनें में 40 बार रिजेक्ट हो चुके हैं. हुसैन के मुताबिक उनकी बात एक शिपिंग कंपनी में बनने ही वाली थी, लेकिन अचानक बात बिगड़ गई. हुसैन ने जब कंपनियों के एचआर डिपार्टमेंट से इस बारे में बात की, तो उन्हें पता चला कि इस नाम का कोई भी क्रू सदस्य रखने से बेवजह ही लोगों का शक बना रहता है. ये किसी भी शिपिंग कंपनी के लिए अच्छा नहीं है और कोई भी संदिग्ध नाम ऑपरेशन नाइटमेयर साबित हो सकता है.
सद्दाम कहते हैं ‘मेरे दादा ने मेरा नाम ये सोचकर रखा था कि मैं बड़ा होकर देश का नाम रोशन करूंगा और एक अच्छा इंसान बनूंगा लेकिन अब मेरा नाम ही मेरा सबसे बड़ा दुश्मन बन गया है.’ गौरतलब है सद्दाम हुसैन इराक के पूर्व राष्ट्रपति थे.
2003 में अमेरिका ने सद्दाम का तख्तापलट कर दिया था. 2006 में सद्दाम को फांसी दे दी गई थी. नौकरी पाने के लिए सद्दाम ने अपना नाम बदलकर साजिद हुसैन भी कर लिया, लेकिन उनकी मार्कशीट, सर्टिफिकेट आदि पर उनका नाम सद्दाम हुसैन लिखा है…Next
Read More:
इस वजह से कुछ लोगों को ही याद रहता है पुर्नजन्म, अंतिम संस्कार में छुपा है एक रहस्य
भारत के इस गांव में छोटे से कारोबार से होता है 400 करोड़ का व्यापार
84 साल पहले ऐसा दिखता था कनॉट प्लेस, आज कभी भी ढह सकती हैं 900 इमारतें!
Read Comments