बादशाह अकबर के बारे में आपने काफी बातें सुनी होगी. जोधा-अकबर की प्रेम कहानी तो इतनी मशहूर है कि उसपर कई फिल्में और टीवी सीरियल्स बन चुके हैंं. वहीं कुछ लोग ऐसे भी हैं जो बादशाह अकबर पर थोड़ी अलग राय रखते हैं. बादशाह अकबर को ऐसे शासक के रूप में देखा जाता है जिन्होंने जोधा से मिलने के बाद जनता के कल्याण के लिए काफी काम करवाए. अकबर के शासन का प्रभाव देश की कला एवं संस्कृति पर भी पड़ा. अकबर को भारतीय चित्रकारी आदि ललित कलाओं में काफी रुचि थी.
मुगल चित्रकारी का विकास करने के साथ-साथ उन्होंने यूरोपीय शैली का भी स्वागत किया. साहित्य में विशेष रूचि होने के कारण अकबर ने अनेक संस्कृत पाण्डुलिपियों व ग्रन्थों का फारसी में तथा फारसी ग्रन्थों का संस्कृत व हिन्दी में अनुवाद भी करवाया. अपने आरंभिक शासन काल में अकबर की शासन व्यवस्था हिन्दुओं के प्रति सहिष्णु नहीं थी, किन्तु समय के साथ-साथ बदलाव आया और हिन्दुओं सहित अन्य धर्मों में बहुत रुचि दिखाई. अकबर से जुड़ी हुई ये बातें तो फिर भी काफी लोग जानते हैं लेकिन अकबर के बारे में ये बात बहुत कम लोग जानते हैं कि अकबर ने जीवन भर गंगा जल ही पिया था.
वो भोजन करने के बाद हमेशा गंगाजल ही पीते थे. मुगलई खाने के शौक और शानदार लाइफस्टाइल के लिए इतिहास में दर्ज नामों में से एक अकबर के लिए गंगा से पानी लाने के लिए उसके सिपाही दिन-रात लगे रहते थे. इतिहासकारों की मानेंं तो अकबर के महल से गंगा नदी बहुत दूर थी, इसलिए गंगाजल लाने के लिए अकबर ने खास सैनिकों की एक सेना की टुकड़ी रखी थी.
रुमर गौडेन की किताब ‘गुलबदन’ में लिखा है कि अकबर गंगा के पानी के अलावा कहीं और का पानी नहीं पीते थे. हालांकि, गंगा नदी उनके किले से काफी दूर थी, मगर उनके सेवक अपने बादशाह के लिए प्रतिदिन गंगा नदी का ही पानी लाते थे. इसके अलावा मुगल बादशाह जहांगीर खाना खाने के बाद हमेशा वाइन पिया करते थे…Next
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