पेड़ पौधे हमारे जीवन का परम आवश्यक अंग हैं. हमारे जीवन में साँस लेने से खान-पान तक की आवश्यकताओं की पूर्ती पेड़-पौधों द्वारा होती है, लेकिन एकतरफ जहाँ यह जीव जंतुओं के लिए संजीवनी का काम करते हैं, वही दूसरी तरफ कुछ पौधे जीवन हरण भी कर लेते हैं ऐसा ही एक पौधा है ‘जिम्पी-जिम्पी’ जिसका तनिक सा स्पर्श आपको भीतर तक झकझोर देता है.
सामान्यतः यह पौधा उत्तरी ऑस्ट्रेलिया के अधिक वर्षा वाले क्षेत्रों में पाया जाता है, दिल के आकर की पत्तियों वाला यह पौधा एक या दो मीटर तक लंबा होता है. जैसे ही कोई जानवर या आदमी इसके संपर्क में आता है, इसकी पत्तियों और तनों पर उपस्तिथ सुई जैसे छोटे-छोटे रोये त्वचा को भेद, भीतर धस जाते हैं और व्यक्ति अथवा जानवर को असहनीय पीड़ा होने लगती है. चूँकि इसके रोयों में एक विशेष प्रकार का जहर रहता है और मात्र एक क्षण के स्पर्श के साथ व्यक्ति को सूजन, खुजली और जलन का अनुभव होने लगता है.
जब तक त्वचा में धसे जिम्पी-जिम्पी के रोयें बाहर नहीं निकलते खुजली और सूजन बनी रहती है. हायड्रोक्लोरिक एसिड के लेप या सिर्फ वैक्स की पट्टी की मदद से इन रोयों को बाहर खींच कर व्यक्ति को इस दर्द से निजात दिलाया जा सकता है. अगर यह स्पर्श एक क्षण से ज्यादा का हो, तो इंसान की मौत भी हो सकती है. इतना ही नहीं बिना स्पर्श किये ही यह पौधा किसी भी जीव जंतु के प्राण हर सकता है.
यह प्राणघातक पौधा हर समय एक जहरीली गैस हवा में छोड़ता रहता है और जैसे ही साँस के साथ यह व्यक्ति के भीतर जाती है, व्यक्ति का शरीर एक साथ लाल पड जाता है, नाक से खून बहने लगता है और इन लक्षणों का कारण जाने बिना ही व्यक्ति मर जाता है. 1866 में ‘ए.सी. मैकमिलन’ नाम का व्यक्ति पहली बार इसकी जानलेवा विशेषता से अवगत हुआ जिसने अपने मालिक को बताया कि कैसे उसका घोडा इस पौधे को खाकर 1 घंटे के भीतर मर गया.
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जब वैज्ञानिकों ने इसकी पड़ताल की तो निष्कर्ष निकाला कि खुद को पूरी तरह से ढक कर और मास्क लगाकर ही इसके संपर्क में जाना चाहिए. आर्मी ट्रैनिंग के दौरान जब एक सैनिक इसके संपर्क में आया तो तुरंत उसको असीम जलन और खुजली का अनुभव होने लगा और उसको अगले 3 हफ्ते हॉस्पिटल में भर्ती रहना पड़ा. इसी तरह एक व्यक्ति ने अज्ञानता वश इसकी पत्तियों को टॉयलेट टिश्यू के रूप में प्रयोग कर लिया जिससे तुरंत ही उसकी मौत हो गयी…Next
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