इस गांव में महीनों तक सोते हैं लोग, वैज्ञानिक भी नहीं जान पाए इसका रहस्य
दिन भर की थकान के बाद रात को सोना और अगले दिन की सुबह फिर से ताजगी भरी दिनचर्या की शुरुआत . प्रकृति ने कुछ ऐसे ही नियम बनाये हैं जिनका संतुलन बना रहे तो जीवन खुशहाल बन जाता है. लेकिन ‘उत्तरी कज़ाकिस्तान’ के ‘कलाची’ गाँव में जहाँ के लोगों चलते-चलते या कोई काम करते-करते रहस्यमयी ढँग से सो जाते हैं. और जगाये जाने पर भी कोई प्रतिक्रिया नहीं करते हैं.
डॉक्टर भी है हैरान
इस तरह की घटनाओं से कलाची गाँव के निवासी भयभीत हो गए, वास्तव में यकायक किसी का सो जाना और कई दिनों तक सोते ही रहना एक पहेली बन गयी थी. इसको एक बिमारी समझ लोगों को अस्पताल ले जाने का सिलसिला शुरू हुआ . वहाँ पर भी कोई ठोस कारण ज्ञात नहीं हुए और इसको सोने की बिमारी घोषित कर दिया गया जिसमें व्यक्ति अचानक किसी भी समय सो जाता है.
सोकर उठने के बाद बदल जाता है इंसान
उठने पर उसको कुछ याद न रहना, सिर में दर्द, शरीर में कमजोरी और बहकी बहकी बातें करना इस बिमारी के लक्षण बताये गए. मार्च 2013 में इस बीमारी का पहला मामला दर्ज हुआ और अब तक तकरीबन 120 लोग इसके शिकार हो चुके हैं जिसमें बुजुर्ग, जवान और बच्चे सभी शामिल हैं .
यूरेनियम माइंस’ के कारण फैली सोने की बीमारी
गाँव के निवासियों के अनुसार कई बार लोग गाडी और बाइक चलाते हुए सो जाते हैं और दुर्घटनाओं का शिकार हो जाते हैं. इस तरह के बढ़ते हुए मामलों को ध्यान में रखते हुए वहाँ की सरकार ने वैज्ञानिकों के एक विशिष्ट दल को इस रहस्यमयी बिमारी के जाँच के आदेश दिए जिसमें ‘नींद की बिमारियों’ के विशेषज्ञ भी शामिल थे. काफी दिनों की मस्सकत के बाद पता लगा कि गाँव के पास मौजूद ‘यूरेनियम माइंस’ इसका मुख्य कारण हैं.
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गांव छोड़कर जा रहे हैं लोग
विशेषज्ञों के अनुसार यूरेनियम माइंस में से निकलने वाली गैसों के कारण हवा में कार्बन मोनोऑक्सइड और हाइड्रोकार्बन की अत्यधिक मात्रा में वृद्धि हो जाती है जिसके कारण लोग अचानक बेहोश हो जाते हैं और कई दिनों तक सोते रहते हैं.
इस बिमारी के चलते यहाँ के निवासी अपने घरों को छोड़ दूसरे गाँव जाकर बस गए हैं. अब तक 223 में से 68 परिवार अपने घरों को त्याग चुके हैं…Next
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दिन भर की थकान के बाद रात को सोना और अगले दिन की सुबह फिर से ताजगी भरी दिनचर्या की शुरुआत. प्रकृति ने कुछ ऐसे ही नियम बनाये हैं जिनका संतुलन बना रहे तो जीवन खुशहाल बन जाता है. लेकिन ‘उत्तरी कज़ाकिस्तान’ के ‘कलाची’ गाँव में जहाँ के लोग चलते-चलते या कोई काम करते-करते रहस्यमयी ढँग से सो जाते हैं और जगाये जाने पर भी कोई प्रतिक्रिया नहीं करते हैं.
डॉक्टर भी है हैरान
इस तरह की घटनाओं से कलाची गाँव के निवासी भयभीत हो गए, वास्तव में यकायक किसी का सो जाना और कई दिनों तक सोते ही रहना एक पहेली बन गयी थी. इसको एक बीमारी समझ लोगों को अस्पताल ले जाने का सिलसिला शुरू हुआ. वहाँ पर भी कोई ठोस कारण ज्ञात नहीं हुए और इसको सोने की बीमारी घोषित कर दिया गया जिसमें व्यक्ति अचानक किसी भी समय सो जाता है.
सोकर उठने के बाद बदल जाता है इंसान
उठने पर उसको कुछ याद न रहना, सिर में दर्द, शरीर में कमजोरी और बहकी-बहकी बातें करना इस बिमारी के लक्षण बताये गए. मार्च 2013 में इस बीमारी का पहला मामला दर्ज हुआ और अब तक तकरीबन 120 लोग इसके शिकार हो चुके हैं जिसमें बुजुर्ग, जवान और बच्चे सभी शामिल हैं .
यूरेनियम माइंस’ के कारण फैली सोने की बीमारी
गाँव के निवासियों के अनुसार कई बार लोग गाडी और बाइक चलाते हुए सो जाते हैं और दुर्घटनाओं का शिकार हो जाते हैं. इस तरह के बढ़ते हुए मामलों को ध्यान में रखते हुए वहाँ की सरकार ने वैज्ञानिकों के एक विशिष्ट दल को इस रहस्यमयी बीमारी के जाँच के आदेश दिए, जिसमें ‘नींद की बीमारियों’ के विशेषज्ञ भी शामिल थे. काफी दिनों की मशक्कत के बाद पता लगा कि गाँव के पास मौजूद ‘यूरेनियम माइंस’ इसका मुख्य कारण हैं.
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गांव छोड़कर जा रहे हैं लोग
विशेषज्ञों के अनुसार यूरेनियम माइंस में से निकलने वाली गैसों के कारण हवा में कार्बन मोनोऑक्सइड और हाइड्रोकार्बन की अत्यधिक मात्रा में वृद्धि हो जाती है जिसके कारण लोग अचानक बेहोश हो जाते हैं और कई दिनों तक सोते रहते हैं.
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सोने का हवाई जहाज है इनके पास, लड़ रहे हैं चुनाव
एक भारतीय जिसने सरकारी कोष में दान किए पाँच टन सोना
भारत का एक ऐसा अद्भुत मंदिर जहां सिर्फ सोना बिखरा है !!
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