जहां एक तरफ पारंपरिक भारतीय समाज में विवाह पूर्व शारीरिक संबंधों को पूरी तरह निंदनीय और निषेध माना जाता है वहीं भारत में रहने वाली एक जनजाति ऐसी भी है जहां किसी भी जोड़े को विवाह योग्य तभी माना जाता है जब विवाह से पहले ही उनकी संतान जन्म ले ले. हो सकता है यह सुनकर आपको थोड़ा अटपटा लगे लेकिन सच यही है कि जलपाईगुड़ी (पश्चिम बंगाल) के टोटोपाड़ा में रहने वाली जनजाति ‘टोटो’ ऐसा ही एक समुदाय है जहां विवाह वैध ही तब माना जाता है जब महिला-पुरुष विवाह से पहले एक-वर्ष तक साथ रहे हों और उनकी एक संतान हो.
टोटोपाड़ा, भारत और भूटान सीमा से लगा हुआ ऐसा क्षेत्र है जहां की परंपरा और संस्कृति अलग है. यहां के लोगों का रहन-सहन अनोखा और हैरान कर देने वाला है. अन्य समाजों और समुदायों की तरह इस जनजाति की भी विवाह से संबंधित कुछ शर्ते होती हैं जिसमें विवाह से पहले लड़की का मां बनना सबसे महत्वपूर्ण है.
टोटो जनजाति से संबंधित लड़के को जो भी लड़की पसंद आती है वह रात के समय उसे लेकर भाग जाता है. लड़की को भगाने के पश्चात वह एक वर्ष तक उसे अपने घर में रखता है. साथ रहने के दौरान अगर वह लड़की मां बन चुकी या बनने वाली होती है तभी उनके जोड़े को विवाह करने की स्वीकृति दी जाती है. लड़का और लड़की के परिवार वाले मिलकर बड़ी धूमधाम के साथ उन दोनों की शादी करवा देते हैं.
नर कंकालों को सहेज के रखने के लिए ऐसी तैयारी !!
अगर आपको यह लग रहा है कि टोटो जनजाति के लोग विवाह की महत्ता को नहीं समझते तो आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि वैवाहिक संबंधों की मर्यादा को बनाए रखने के लिए ही कठोर नियम बनाए हैं जिनके अनुसार अगर कोई जोड़ा अलग होना चाहता है तो इसके लिए उसे बहुत अधिक खर्च करना पड़ता है. उन्हें एक विशेष प्रकार की पूजा का आयोजन करना पड़ता है जो बहुत महंगी साबित होती है. इसका खर्च विवाह से भी ज्यादा हो जाता है.
ऐसा माना जाता है कि टोटो जनजाति दुनिया की लुप्त हो चुकी या सबसे कम जनसंख्या वाली जनजातियों में से एक है. उल्लेखनीय है कि इस जनजाति पर परिवार नियोजन या नसबंदी कार्यक्रम चलाया जाना प्रतिबंधित है. उनकी कुल संख्या केवल 1265 है. 1991 की जनगणना के आंकड़ों के मुताबिक़ उनकी आबादी 936 थी.
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