जीवन से जुड़ी कुछ ऐसे मिथक हैं जिन्हें या तो हम नकार देते हैं या फिर उसे सच मानने लगते हैं. कई बार तो ऐसा कि ऐसे मिथकों को हम सालों साल अपने दिमाग लिए फिरते हैं जिसका कोई आधार नहीं है. आइए जानते हैं कि इन मिथको के पीछे की क्या रहस्य है.
मरने के बाद
बाल और नाखून मरने के बाद भी बढ़ते रहते हैं. यह एक और मिथ है जिसे आपने कहीं जरूर सुन रखा होगा. अब आप ही बताइए कि बिना एनर्जी कोई भी चीज कैसे ग्रो कर सकती है. होता यह है कि मरने के बाद डिहाइड्रेशन की वजह से बालों और नाखून के आस-पास की त्वचा सिकुड़ जाती है, इस वजह से बाल और नाखून ज्यादा बढ़े हुए नजर आने लगते हैं.
आंखें खराब हो जाएगी
अकसर हमारे बड़े-बुजुर्ग यह सलाह देते मिल जाते हैं कि अंधेरे में पढ़ोगे तो आंखें खराब हो जाएंगी, जबकि ऐसा कुछ नहीं है. कम रोशनी में पढ़ने से आंखें कुछ समय के लिए थक जरूर जाती हैं लेकिन इससे आंखे खराब नहीं होती.
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ऑर्गेनिक फूड्स
ऑर्गेनिक फूड्स के बारे में ऐसा कहा जाता है कि ये कीटनाशक मुक्त रहते हैं. लेकिन यह गलत है. अन्य फूड के मुकाबले इसमें भी ज्यादा तो नहीं लेकिन कम कीटनाशक पदार्थ जरूर होते हैं जो खाने के बाद किसी को नुकसान नहीं पहुंचाते.
सांप के काटने से
सांप के काटने वाली जगह पर यदि चूसकर जहर बाहर निकाला जाए तो जहर पूरे शरीर में नहीं फैलता. इस मिथ को सच बनाने में हमारी हिंदी फिल्मों का बड़ा योगदान है. सच्चाई यह है कि अगर आप ऐसा करेंगे तो जगह पर इन्फेक्शन का खतरा बढ़ जाता है.
माइक्रोवेव अवन का इस्तेमाल नुकसानदेह
माइक्रोवेव अवन का ज्यादा इस्तेमाल बेहद नुकसानदेह है. इससे निकलने वाले इलेक्ट्रो मैगनेट रेडिएशन आपको कैंसर हो सकता है लेकिन सच्चाई यह नहीं है. माइक्रोवेव अवन से निकलने वाले इलेक्ट्रो मैगनेट रेडिएशन इतने कम होते हैं कि उससे कैंसर होना नामुमकिन है. इसलिए आपको चिंता करने की जरूरत नहीं है.
सर्दियों में ठंड
सर्दियों में बाहर निकलने से ठंड लग जाती है और तबीयत खराब हो जाती है. जी हां, यह भी एक मिथ है. इस मिथ का जवाब यह है कि राइनोवाइरस (जो कि कोल्ड के लिए जिम्मेदार है) कहीं भी हो सकता है और यह एक-दूसरे के संपर्क में आने से फैलता है. सर्दियों में हम ज्यादातर घर में रहते हैं. अगर घर में किसी को कोल्ड है तो हमें भी कंटैमनेशन के कारण कोल्ड होने की संभावना ज्यादा रहती है.
मेंढक को छुनेके बाद
मेंढक को छुने से आपकी त्वचा पर मस्सा निकल आएगा, लेकिन आप घबराइए मत यह एक मिथ है. मस्सा तब निकलता है जब आप किसी अन्य व्यक्ति को छूते या हाथ मिलाते हैं जिसको पहले से ही इस तरह का रोग है. यह एक तरह का वायरस है जिसे एचपीवी भी कहते हैं.
चमगादड़ अंधा नहीं होता
लोगों का मानना है कि चमगादड़ अंधा होता है पर चमगादड़ की कोई भी जाति अंधी नहीं होती. कोई भी व्यक्ति पूरे अंधेरे में देख नहीं सकता. चमगादड़ों के साथ भी ऐसा है. चमगादड़ के कान बड़े ही संवेदनशील होते हैं. कान की वजह से चमगादड़ों को पता चल जाता है कि कौन सी वास्तु कहाँ है और वे उनसे बचकर निकल जाते हैं.
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