दो शताब्दियों से भी अधिक समय तक भारत पर राज करने वाला देश इंग्लैंड अपनी शाही खूबसूरती को लेकर काफी लोकप्रिय है. इंगलैंड जाने वाले पर्यटकों के लिए ट्यूडर महल उतना ही महत्व रखता है जितना वहां कि महारानी का बर्किंघम पैलेस. विदेशों के बारे में जानने के लिए हम हमेशा ही उत्सुक रहते हैं लेकिन क्या कभी हम अपने देश के खूबसूरती और विशेषताओं को समझने में दिलचस्पी लेते हैं. आपको यह जानकर हैरानी होगी कि भारत में भी एक ट्यूडर पैलेस है जो बिहार में स्थित है.
उल्लेखनीय है कि बिहार का यह ट्यूडर पैलेस बिलकुल इंग्लैंड के पैलेस की तरह ही दिखता है. बस फर्क इतना है कि इंगलैंड का ट्यूडर पैलेस अपनी खूबसूरती और बेहिसाब लोकप्रियता के लिए जाना जाता है वहीं 88 वर्षीय यह बिहार का ट्यूडर पैलेस अपनी जर्जर हालत के लिए जाना जाता है.
बिहार की राजधानी पटना में रेलवे स्टेशन के पास से गुजरने वाले फ्रेजर रोड पर स्थित ट्यूडर पैलेस अब किसी भूत बंगले से कम नहीं लगता. पहले यह अपनी बेमिसाल खूबसूरती के लिए जाना जाता था वहीं अब यह झाड़ियों से घिरी एक इमारत की तरह नजर आता है.
सवा दो एकड़ जमीन पर फैले इस ट्यूडर महल की सबसे खास बात यह है कि वर्ष 1925 में यह एकमात्र जलमीनार थी जिसका निर्माण अंग्रेजों ने नहीं बल्कि हसन इमाम नामक नेऊरा गांव (पटना) के निवासी ने स्वयं अपने पैसों से करवाया था.
जैसा कि हमेशा होता आया है कि एक मत पर इतिहासकारों का राजी होना जटिल काम है इसीलिए बिहार के इस ट्यूडर महल के विषय में भी कुछ इतिहासकारों का मानना है कि इसकी नींव मजहरूल हक ने रखी थी. आधी इमारत बनने के बाद मजहरुल हक की मृत्यु हो गई थी. इसके बाद यह जमीन पटना के प्रतिष्ठित वकीलों में शुमार इमाम बंधुओं को मिल गई और फिर उन्होंने आधी बची हुई इमारत का निर्माण कर इसे इंग्लैंड स्थित ट्यूडर महल जैसी शक्ल दी.
वर्तमान समय में यह महल बिहार पुलिस के अधीन है और बिहार पुलिस के जवानों को इस प्रसिद्ध इमारत में रहने का सौभाग्य प्राप्त हो रहा है. वैसे एक हास्यास्पद बात यह भी है कि जिन पुलिसवालों को ड्यूटी पर लगाया गया था वह इस महल के बेशकीमती फर्नीचर और तस्वीरें अपने घर लेकर जा चुके हैं. इस महल में अब इतनी दरारें पड़ चुकी हैं कि यह कभी भी यह गिर सकता है लेकिन बिहार सरकार की नींद अभी तक नहीं खुली है.
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