दो वर्दीधारी अधिकारियों को आपसी चुंबन की कीमत नौकरी से हाथ धोकर चुकानी पड़ी है. इन पुलिस अधिकारियों का कार्यस्थल पर किया गया यह कृत्य इन दिनों लोक मीडिया (जिसे हम सोशल मीडिया भी कहते हैं) की सुर्खियाँ बनी हुई है. इस कृत्य ने जहाँ इन दोनों अधिकारियों की नौकरी पर संकट खड़ा किया है, वहीं लोक मीडिया(सोशल मीडिया) पर एक नई बहस भी शुरू कर दी है. एक ऐसी बहस जिसके कई आयाम हो सकते हैं; जो कानूनन रूप से तो सही हो सकती है लेकिन उसके औचित्य पर फिर भी सवाल उठाए जा सकते हैं.
दरअसल मामला तंज़ानिया का है. तंज़ानिया के कगेरा शहर में पुलिस की वर्दी पहने एक अधिकारी अपने सहकर्मी का चुंबन ले रहा है. उनके चुंबन लेते इस तस्वीर के सुर्खियों में आते ही उन दोनों अधिकारियों पर कार्रवाई करते हुए उन्हें नौकरी से बर्खास्त कर दिया गया.
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जब इन अधिकारियों को दी गई सज़ा की ख़बर फैली तो लोक मीडिया पर इसकी त्वरित प्रतिक्रियाएँ आनी शुरू हो गई. इन प्रतिक्रियाओं में नौकरी से निकालने की सज़ा को अतिशय के तौर पर देखा गया. लोक मीडिया के प्रयोक्ताओं ने उन दोनों अधिकारियों की निराशा को एक सशक्त आवाज़ देते हुए इस कृत्य के लिए उन्हें डाँटने-फटकारने अथवा दिशा-निर्देश देने जैसी सज़ा की वकालत की है.
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हालांकि तंज़ानिया के कानूनों के जानकार बताते हैं कि पुलिस अधिकारियों के लिए बनाई गई आचार-संहिता के अनुसार ये सज़ा गलत नहीं है. इस प्रकार कानूनी दृष्टिकोण से कार्यस्थल के लिए बनी आचार-संहिता का उल्लंघन करने के कारण उन्हें नौकरी से बर्खास्त किया गया है. लेकिन भले ही दोनों अधिकारी सेवा में नहीं हैं, लेकिन लोग यह सवाल तो उठा ही रहे हैं कि क्या कार्यस्थल पर अपने साथ काम करने वाले अधिकारी का चुंबन लेने की सज़ा ‘सेवा से बर्खास्तगी’ उचित है? Next….
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