हर पता के पीछे उस जगह का इतिहास छुपा रहता है. लेकिन यह पता भारत के मध्ययुगीन इतिहास का एक दरवाजा है. दरअसल जब आप भारत का वेनिस कहे जाने वाले उदयपुर शहर में होंगे तो आपको ढ़ेरों झील के अलावा जो एक चीज मिलेगी वह है कई सारे ‘पोल’. हाथीपोल से चलते हुए जब आप सीटी पैलेस के मुख्य द्वार यानी बड़ा पोल को जाते हैं तो आपको रास्ते में यह पता दिखता है. ‘कसारों की ओल खत्रियों की पोल’. इस पते की रोचकता ने मेरे भीतर जिज्ञासा पैदा की.
मेने वहां के लोगों से पुछा तो पता चला की कसार और खत्रियां यहां कि जातियां हैं. कसार जाति पारंपरिक रुप से तांबे के बर्तन बनाती रही है तो खत्रियों का इतिहास व्यापारी और योद्धा दोनो का रहा है. पोल यहां प्रवेश द्वार को कहा जाता है. इस जगह से आप थोड़ी ही दूर आगे बढ़ते हैं तो आपको भव्य जगदीश मंदीर दिखाई पड़ती है. उदयपुर में यह मंदिर पर्यटकों का एक बड़ा आकर्षण है. 1651 में बनी यह मंदिर एक ऊंचे चबूतरे पर स्थित है. इंडो-आर्य शैली की इस मंदिर को महाराजा जगत सिंह ने बनवाया था.
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मंदिर से आगे बढ़ने पर आप उदयपुर की शान सीटी पैलेस के मुख्य द्वार यानी बड़ा पोल पहुंचते हैं. सीटी पैलेस वर्तमान में मेवाड़ कुल के 76वें संरक्षक राणा श्रीजी अरविंद सिंह मेवाड़ के संरक्षण में हैं. अरविंद सिंह मेवाड़ कुल के राजा नहीं बल्कि संरंक्षक की भूमिका में हैं. यहां के असल राजा श्री एकलंगजी यानी भगवान शिव को माना जाता है.
सीटी पैलेस एक महल नहीं बल्कि कई महलों का समूह है और इसका निर्माण लगभग 400 साल में मेवाड़ कुल के अलग-अलग राजाओं ने करवाया. कई बड़ी फिल्मों की शूटिंग इस महल में हुई है जिसमें हाल ही में रिलीज हुई सलमान खान की ‘प्रेम रतन धन पायो’ भी शामिल है. इससे पहले जेम्स बॉन्ड सीरीज की फिल्म ऑक्टोपसी की भी शूटिंग यहां से कुछ ही दूर स्थित लेक पैलेस और मॉनसून पैलेस में हुई है.
इस शानदार महल से जब आप गणेश पोल से निकल कर सूरज पोल की ओर जाते हैं तो एक और मजेदार पता आपको देखने को मिलेगा. यह है ‘भांग गली’. जैसा कि नाम से ही स्पष्ट है इस जगह से भांग का गहरा नाता है. इस गली में भांग की कई दुकाने हैं जो 70-80 साल पुरानी हैं. ऐसे पते भले ही पर्यटन की दृष्टी से बहुत महत्वपूर्ण न हों लेकिन इन जगहों से गुजरना एक गुदगुदाने वाला अनुभव होता है. Next…
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