अल्ताफ की बहादुरी के बारे में पूछने पर डीजीपी राजेंद्र कुमार की आखें भर जाती है.
मोहम्मद अल्ताफ लश्कर-ए-तैयबा के कमांडर और उधमपुर हमले के कर्ताधर्ता अब्दुल रहमान उर्फ कासिम को ढूंढ़ने के लिए खुफिया मिशन चला रहे थे. सब इंस्पेक्टर अल्ताफ को एक गुप्त सूचना मिली कि बांदीपुरा के एक गांव में आतंकी कासिम छुपा हुआ है. अपने सूत्र से प्राप्त सूचना के आधार पर अल्ताफ अपनी सरकारी गाड़ी से संदिग्ध स्थल की ओर रवाना हो गए. संबंधित स्थल तक पहुँचते ही एक गाड़ी में सवार कुछ आतंकियों ने उन पर फायरिंंग शुरू कर दी. अचानक हुए हमले से अल्ताफ पूरी तरह से घायल हो गए. फौरन उनको हेलीकॉप्टर से आर्मी हॉस्पिटल लाया गया, लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी.
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क्या है उधमपुर मामला- जम्मू-कश्मीर के उधमपुर में पाकिस्तान से आए तीन आतंकियों ने बीएसएफ की टुकड़ी पर हमला किया था. इस घटना में दो आतंकियों को बीएसएफ के जवानों ने मार गिराया था. हालाँकि तीसरा आतंकी नवेद को गांव वालों ने पकड़ लिया था. इस पुरे मामले की जांच फिलहाल एनआईए कर रही है.
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मोहम्मद अल्ताफ डार- अल्ताफ को उनके साथी प्यार से ‘अल्ताफ लैपटॉप’ कहके पुकारते थे. मोहम्मद अल्ताफ डार 15 साल पहले बतौर असिस्टेंट कॉन्स्टेबल पुलिस फोर्स में भर्ती हुए थे. कहा जाता है कि अल्ताफ का इंटेलिजेंस नेटवर्क बेहद मजबूत था. वह किसी दुश्मन को लैपटॉप के जरिए उसकी लोकेशन ट्रेस और फोन कॉल ट्रैकिंग करने में माहिर थे. वह कई बार 24 घंटे तक लगातार काम कर चुके थे. इतना ही नहीं, अल्ताफ को राष्ट्रपति पुलिस वीरता पदक से भी नवाजा गया था. कश्मीर के कुलगाम के रहने वाले अल्ताफ देश की सेवा करते हुए शहीद हो गए…Next…
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