अपने आसपास पाए जाने वाली छोटी-छोटी वस्तुओं को हम अकसर यह सोच कर अनदेखा कर देते हैं कि यह तुच्छ चीजें हमें क्या नुकसान पहुंचाएंगी। परंतु यही छोटी सी वस्तु या प्राणी कब हमारे लिए घातक साबित हो जाएं इसका अंदाजा भी हमें नहीं होता। कुछ ऐसा ही विचित्र प्राणी है घोंघा, यानि की स्नेल। भले ही यह देखने में शांत व छोटा है लेकिन आपको बता दें कि इस जीव ने अपने अंदर कई ऐसे राज छिपा कर रखे हैं जो आपको नुकसान पहुंचाने के लिए काफी हैं।
यह तो आपको पता ही होगा
घोंघा, शंबूक या स्नेल, कई नामों से प्रसिद्ध यह जीव अकसर नमी युक्त घास के मैदान या फिर बगीचों में पाया जाता है। घोंघा एक शाकाहारी जीव है जो घांस व पत्ते खाता है और यही कारण है कि बगीचे का माली हमेशा इसे अपने बगीचे से दूर ही रखना चाहता है।
घोंघे का शरीर नरम होता है और पीठ पर एक घुमावदार खोल होता है जिसकी मदद से वह किसी भी तरह के खतरे का आभास होने पर इसमें छिप जाते हैं। इसके सिर पर एक मुख और दो जोड़े बड़े एवं छोटे टेन्टाकिल्स होते हैं। बड़े टेन्टाकिल्स पर एक-एक आंखें पायी जाती हैं।
घोंघे की आकृति को लेकर यह कुछ बातें थीं जिन्हें आप शायद जानते भी हैं लेकिन इसके अलावा भी ऐसे कई राज इस प्राणी से संबंधित हैं जिन्हें जानकर आप अचंभित रह जाएंगे। तो आइये जानते हैं घोंघे के बारे में कुछ अनजान व अनकही बातें:
कितने वर्षों तक जी सकता है घोंघा?
एक घोंघे की आयु इस बात पर निर्भर करती है कि वो किस स्थान पर रह रहा है। आमतौर पर एक स्नेल 5 वर्ष तक जी सकता है लेकिन यदि परिस्थितियां और वातावरण अच्छा हो तो वो 25 साल तक भी जी सकता है।
क्या घोंघा जहरीला हो सकता है?
पानी में पाए जाने वाले घोंघे जहरीले भी हो सकते हैं। यदि इसे खाने के बाद आप ठीक महसूस नहीं कर रहे तो इसका मतलब है इसे ढंग से पकाया नहीं गया है। वैज्ञानिकों के अनुसार समुद्र में पाए जाने वाले घोंघे द्वारा मारा गया एक डंक आपको मौत की राह तक ले जाने के लिए काफी है।
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आगे बढ़ने के लिए इससे मिलती है घोंघेको मदद
घोंघे द्वारा जमीन पर बनाया गया बलगम जैसा पदार्थ उसे उस सतह पर चिकनाहट पैदा करने में मदद करता है जिसकी बदौलत वो आसानी से आगे बढ़ता है। इतना ही नहीं, चलने के लिए एक घोंघा, इंसानों द्वारा पैदा किए गए बलगम के निशानों का भी इस्तेमाल करता है।
बेहद धीरे चलने वाले जीवों में है इसकी गिनती
कीचड़ व अन्य फिसलने वाले पदार्थ के इस्तेमाल करने के बावजूद भी स्नेल की जिनती दुनिया भर में पाए जाने वाले धीरे चलने वाले जीवों में होती है। लेकिन यह जानकर आपको ताजुब होगा कि बेहद धीमी गति से चलने वाला घोंघा भी एक घंटे में 50 गज की दूरी कर सकता है। शोधकर्ताओं के मुराबिक घोंघा एक एक स्थिर गति में चलता है जो उसे निरंतर अपने निश्चय की ओर बढ़ने में मदद करता है।
घोंघे द्वारा बनाए गए पदार्थ को आप खा सकते हैं
जी हां, सही पढ़ा आपने! आप इस जीव द्वारा पैदा किए गए निशान या फिर जिसे हम बलगम जैसा पदार्थ भी कह सकते हैं, उसे अपना भोजन बना सकते हैं। हाल ही में किए गए एक शोध से यह सामने आया है कि घोंघे द्वारा बनाया गया ‘स्लाइम’ आपके आपके लिए एक बेहतर खाद्य पदार्थ भी बना सकता है, इसे धोने से वह अशुद्धि से निकल जाती है। विशेषज्ञों की मानें तो पेट के अल्सर को ठीक करने के लिए इस पदार्थ का इस्तेमाल किया जा सकता है।
आंख के ऊपर भी आंख
कहा जाता है कि एक घोंघा लगभग दृष्टिहीन होता है और साथ ही उसमें सुनने की भी शक्ति नहीं होती। लेकिन अपनी संवेदनात्मक ऊर्जा की मदद से वो कुछ मीटर दूर मौजूद खाने को भी आसानी से सूंघ सकता है।
14,000 से भी ज्यादा दांत
जी हां, यह चौंकाने वाली बात तो है ही कि एक छोटे से जीव में जिसे देखने पर हम अंदाजा भी नहीं लगा सकते कि उसके दांत कहां है लेकिन इस जीव के पास एक या दो नहीं बल्कि पूरे 14,000 दांत हैं। एक बगीचे में पाए जाने घोंघे में आपको इससे भी ज्यादा दांत देखने को मिल सकते हैं।
इतना विशाल कि आप सोच भी नहीं सकते
अफ्रीका में आप घोंघा जीव के एक अलग ही रूप से परिचित हो सकते हैं। अपने वास्तविक आकार से काफी बड़ा यह घोंघा शोधकर्ताओं के लिए एक बड़े शोध का विषय बन गया है। लैब्रा कुत्तों की मदद से आजतक करीब 1,28,000 विशाल घोंघों को ढूंढा गया है।
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