एक समय था जब भारतीय शासन-प्रशासन आतंकवादियों और नक्सलवादियों से ज्यादा लुटेरों और डाकूओं से परेशान रहती थी. यह दौर था सत्तर और अस्सी का, तब बॉलीवुड में अधिकतर फिल्में डाकूओं को ध्यान में रखकर बनाई जाती थी. इन डाकूओं का खौफ इतना होता था कि सत्ता भी बेकाबू हो जाती थी.
इन्हीं डाकूओं में एक नाम वीरप्पन था जिसे दशकों तक आतंक का पर्याय माना जाता था. वैसे तो चंदन तस्कर वीरप्पन का दबदबा दक्षिण भारत में था लेकिन उसका दहशत उत्तर भारत में भी फैला हुआ था. दिल्ली सरकार भी उसकी कारगुजारियों को रोकने में असहाय दिख रही थी.
इसके खौफ का अंदाजा आप इसी बात से लगा सकते हैं कि इसने सन 2000 में कर्नाटक के सुपरस्टार अभिनेता राजकुमार का भी अपहरण कर लिया था. तब की मीडिया खबरों के मुताबिक कर्नाटक और तमिलनाडु सरकार भी राजकुमार को वीरप्पन से मुक्त नहीं करा पाई थी.
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बहुत ही कम लोगों को जानकारी है कि अन्य दूसरे लोगों की तरह वीरप्पन भी रजनीकांत का प्रशंसक था. यह बात तब उजागर हुई जब वीरप्पन ने अभिनेता राजकुमार को मुक्त करने के लिए रजनीकांत से मिलने की मांग रखी थी. उसने यह मांग एक पत्रकार के सामने रखी जिसे दूत बनाकर वीरप्पन के पास भेजा गया था.
पत्रकार के मुताबिक रजनीकांत एक चार्टर्ड फ्लाइट से कर्नाटक में एक जगह पहुंचे, जहां पुलिस की गाड़ियों के विशाल काफिले ने उनका स्वागत किया. वहां से रजनीकांत पत्रकार को लेकर बुलेट प्रूफ गाड़ी में वीरप्पन से मिलने के लिए और राजकुमार को छुड़ाने के लिए रवाना हुए. ऐसा माना जाता है कि सुपरस्टार रजनीकांत वीरप्पन से मिले और अभिनेता राजकुमार की रिहाई में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई…Next
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