सूर्य की अल्ट्रा वॉयलेट किरणें हमारी त्वचा को भारी नुकसान पहुंचाती है. इस तरह की किरणें हमारी त्वचा को क्षति पहुंचाने में किसी भी तरह की कोई कमी नहीं रखती. कुछ इसी तरह की समस्या से ब्राजील के साओ पाउलो का एक गाँव अरारस जुझ रहा है. गर्मियों के मैसम में धूप से बचने के लिए हम तरह-तरह के उपाय करते हैं लेकिन अरारस गांव के लोगों को इस तरह के उपायों के बारे में सोचने के लिए सुर्य की किरणें मौका ही नहीं देती.
यह गाँव त्वचा की एक बहुत ही अजीबो गरीब और दुर्लभ बीमारी से पीड़ित है जिसका नाम है एक्सोडेरमा पिगमेंटोसम (एक्सपी). इस बीमारी में सूर्य की रोशनी के कारण त्वचा गल जाती है. वैसे तो यह बीमारी लाखों लोगों में से किसी एक को होती है पर इस गाँव में 3 प्रतिशत आबादी इस बीमारी से पीड़ित है. यही नहीं, ज्यादा संवेदनशील होने की स्थिति में यह बीमारी स्किन कैंसर का रूप ले लेती है. त्वचा पर जब धूप की किरणे पड़ती है तो चेहरा लाल और रूखी पड़ जाती है और चेहरा भद्दा दिखने लगता है. वहां रहने वाले अधिकतर लोगों की नाक, होंठ, गाल और आंख सब गल कर बिगड जाता है.
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अरारस में ज्यादातर खेती से जुड़े समुदाय के लोग रहते हैं इसलिए लोगों के पास धूप में काम करने के सिवा और कोई चारा भी नहीं है. इसका नतीजा ये हो रहा है कि त्वचा की इस भयानक बीमारी के चलते लोगों की जिंदगी मुश्किल होती जा रही है. इस गांव में 800 लोगों में से 20 लोग इस बीमारी के शिकार हैं. मतलब ये हुआ कि हर चालीस लोगों में एक आदमी इस बीमारी से पीड़ित है.
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इस बीमारी से पीड़ित लोगों के लिए दिन में घर से बाहर निकलना एक सजा की तरह है. अरारस गांव के लोगों ने इस बीमारी से निजात पाने के लिए काफी प्रयास किया लेकिन उसमें वह विफल रहे. हालांकि अब इस बीमारी से बचने के लिए गांव में लोगों को जागरूक किया जा रहा है. बच्चों को इसके शुरूआती लक्षणों के बारे में बताया जा रहा है साथ ही बाहर धूप में कम से कम निकलने की सलाह दी जा रही है. Next…..
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