आपके मोबाइल की रिंगटोन बजी और आपने फोन उठाया. दूसरी तरफ से आई आवाज ‘हैलो’ और यहां से आपने भी कहा ‘हैलो’. अब इस हैलो के बाद शुरू होती है बाकी की बातें. लेकिन क्या आपने सोचा है कि हर बार फोन उठाते ही ज्यादातर लोग ‘हैलो’ क्यों बोलते हैं. अब आप सोच रहे होंगे कि इसमें खास बात क्या है. सभी लोग हैलो बोलते हैं और क्या पता ये हाय-हैलो वाला हैलो हो. चलिए, अब अपने दिमाग के घोड़े दौड़ाना बंद कीजिए, हम आपको बताते हैं फोन पर ‘हैलो’ बोलने की पूरी कहानी.
ग्राहम बेल की गर्लफ्रेंड का नाम था ‘मारग्रेट हैलो’
टेलीफोन के अविष्कार के लिए ग्राहम बेल का नाम हमेशा से याद किया जाता है. आपको जानकर हैरानी होगी कि ग्राहम बेल की गर्लफ्रेंड का नाम मारग्रेट हैलो था और जब सालों की मेहनत के बाद बेल ने टेलीफोन का अविष्कार किया, तो उन्होंने एक ही तरह के दो टेलीफोन बनाए, एक टेलीफोन ग्राहम ने अपनी गर्लफ्रेंड को दे दिया. इसके बाद सभी तकनीकी कमियां दूर करने के बाद बेल ने सबसे पहले अपनी गर्लफ्रेंड को फोन लगाया. फोन उठाते ही ग्राहम बेल ने सबसे पहले अपनी गर्लफ्रेंड का नाम बड़े प्यार से ‘हैलो’ पुकारा. वो जब भी मारग्रेट को फोन करते ‘हैलो’ कहकर पुकारते थे. इस तरह फोन उठाते ही हैलो कहना एक सम्बोधन के शब्द के रूप में प्रचलित हो गया.
बड़ी दिलचस्प थी ग्राहम बेल की कहानी
आपको जानकर हैरानी होगी कि दुनिया भर को, दूर बैठे अपने परिचितों की आवाज सुनने का तोहफा देने वाले ग्राहम बेल के घर में उनकी मां, पत्नी, और उनका एक खास दोस्त सुनने में अक्षम थे. इसी वजह से उन्हें बधिर लोगों से खासा लगाव था. उन्होंने ध्वनि विज्ञान के क्षेत्र में काफी अध्ययन किया और काफी यंत्र बनाए. 1876 में टेलीफोन के अविष्कार के अलावा मेटल डिटेक्टर बनाने का श्रेय भी उन्हीं को जाता है.
निजी जिंदगी की परेशानियों से हताश नहीं हुए बेल
ग्राहम बेल ने कभी भी अपनी निजी जिंदगी की परेशानियों को रूकावट बनने नहीं दिया. बचपन में मां के न सुन पाने के कारण उन्होंने ध्वनि विज्ञान के क्षेत्र में विशेषज्ञता हासिल की, वहीं दूसरी तरफ युवा होने पर अपने प्यार को मारग्रेट हैलो का नाम फोन पर पुकारकर हैलो को हमेशा के लिए अमर कर दिया. इसके अलावा शादी के बाद अपनी पत्नी को प्रेरणा बनाते हुए उन्होंने 1881 में ‘मेटल डिटेक्टर’ का अविष्कार किया था…Next
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