यह जरूरी नहीं है कि बड़ी-बड़ी कंपनियों में काम करने वाले और मोटी पगार उठाने वाले ही रचनात्मक सोच रखते हो. दूरवर्ती इलाकों में रहने वाला एक सामान्य सा व्यक्ति भी अपना कौशल दिखा सकता है बस उसके कौशल को पहचानने वाला होना चाहिए. नीचे बताए गए कुछ ऐसे प्रतिभावान हैं जिन्होंने लोगों को बताया कि यदि प्रतिभा हो तो कचड़े से भी हीरा निकाला जा सकता है.
खराब पड़े मेडिकल औजार से बनाया जेसीबी
इस होनहार लड़के का नाम, पता और काम किसी को खबर नहीं है, लेकिन इसके अनोखे आविष्कार से सामान्य और विज्ञान जगत के लोगों में हैरानी जरूर हो रही होगी. लड़के ने विशालकाय जेसीबी मशीन के नमूने को बेकार पड़े मेडिकल औजार से बनाया है.
कूड़े-कचड़े का प्रयोग कर बनाया नाव
रोहित निषाद केवल 9 साल का है और उसने किसी ड्रोन विमान या रोबोट का निर्माण नहीं किया है बल्कि गंगा में बहने वाले कूड़े-कचड़े का प्रयोग करके एक नाव बनाया है. जहां पारंपरिक रूप से बनने वाली लकड़ी की छोटी से छोटी नाव का वजन कम से कम 70 किलो होता है और इसे बनाने में 40 हजार रूपए की खर्च आता है. रोहित की यह नाव मात्र 16 किलो की है और कोई खर्च नहीं.
लोहे की रॉड, बांस के डंडे से बनाया मोटरबोट
गोरखपुर जिले का मनोज निषाद ने एक मोटरबोट बनाई है. मोटरबोट बनाने के लिए उन्होंने कुछ नट बोल्ट, लोहे की रॉड, बांस के डंडे, टीन के चार ड्रम और चार बड़ी चेन का सहारा लिया है.
खराब पड़े टायर से बनाए जूते और चप्पल
ऐसा नहीं है कि केवल भारत में ही हुनर है. अफ्रीका के इस व्यक्ति को देखकर कोई भी कह सकता है कि हुनर किसी खास जगह, देश या गांव की मोहताज नहीं है. इस अफ्रीकी व्यक्ति ने दिखा दिया है कि कैसे पुराने और खराब टायर का इस्तेमाल जूते और चप्पल बनाने में किया जा सकता है.
शैम्पू और कॉफी की खाली पैकेट से ड्रेस बनाया
जिस शैम्पू और कॉफी की खाली पैकेट को आप कूड़ा-कचरा समझ कर फेंक देते हैं. आपको जानकर हैरानी होगी कि ऐसे बेकार पड़े पैकटों से एक महिला लाखों रुपए कमाती है. इस महिला का नाम रिसिया जॉनपाओलो है. महिला अपने आस-पड़ोस के घरों से इन पैकेटों और कुछ कूड़ा-कचरा इकट्ठा करती हैं और अपनी कला एवं हुनर से उसे बेहतरीन परिधान में बदल देती हैं.
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