मोदी का व्यक्तित्व कुछ अलग है. बोलने में उनको महारत हासिल है, एक नेता को होना भी ऐसा ही चाहिए कि उसके मुँह से निकले शब्द सीधे लोगों के दिलों में उतर जाए. मोदी के बारे में कहा जाता है कि वो केवल बातों में यकीन नहीं रखते. वो काम करने में विश्वास रखते हैं.
भारत के अलावा विश्व के कुछ और देशों में मोदी के जीन वाले लोग पैदा हुए हैं जिन्होंने अपने देश की तरक्की के लिए कोशिश की और उसमें सफल भी हुए.
Read: राजेंद्र प्रसाद: विलासिता को पसंद करने वाले नेता इनसे कुछ सीखें
मुस्तफा कमाल पाशा
मुस्तफा कमाल पाशा का जन्म बेहद साधारण परिवार में तुर्की के सेलोनिका नामक शहर में हुआ था. वो अपनी प्रतिभा से तुर्की का राष्ट्रपति बना और कुशल नेतृत्व करते हुए अपने देश का आधुनिकीकरण किया. जब फ्रांस और इंग्लैंड ने यूनानी सेना को तुर्की पर अधिकार करने के लिए उकसाया तब यूनानी सेना ने स्मर्ना में तुर्कों का कत्लेआम शुरू कर दिया. यूनानी फौजों ने बर्बरता से तुर्कों की हत्याएँ की और उन्हें लूटा. इससे तुर्की में भयंकर हाहाकार मच गया. उसी समय मुस्तफा कमाल पाशा ने मोर्चा सँभाला और अपने देश में राष्ट्रीयता की भावना का प्रचार किया. लोगों ने खुले मन से कमाल पाशा का साथ दिया. इसका परिणाम यह हुआ कि तुर्की ने कमाल पाशा के नेतृत्व में अपने पाँच शत्रु अरमीनिया, ग्रीस, इटली, फ्रांस और इंग्लैंड जैसे उस समय के शक्तिशाली देशों को मजबूर कर दिया कि वे उसके सामने घुटने टेकें और उसकी शर्तों के अनुसार संधि करें. उसने पर्दे की प्रथा खत्म कर दी. उसने शासन को धर्म से अलग करते हुए काजियों से न्याय संबंधी सारे अधिकार छीन लिए और खलीफा पद को समाप्त कर दिया. इसलिए उसे तुर्की का अतातुर्क अर्थात तुर्की का पिता कहा जाता है.
डॉ० सनयात सेन
डॉ० सनयात सेन का जन्म वर्ष 1865 में चीन के कैंटन में एक किसान परिवार में हुआ था. वो राष्ट्रवादी विचार के प्रबल समर्थक थे. सनयात सेन को चीन में वैसा ही सम्मान मिलता है जैसा भारत में महात्मा गाँधी को और तुर्की में मुस्तफा कमाल पाशा को. नरेंद्र मोदी की तरह ही आलोचना के बावजूद वे आगे बढ़े और एक सोये हुए राष्ट्र को जगाया. उन्होंने अपना सारा जीवन देश की सेवा में लगा दिया. वो व्यावसायिक उन्नति करके चीन को सफल और समृद्ध राष्ट्र बनाना चाहते थे. उन्होंने अपनी सेना को नए ढ़ंग से संगठित कर मजबूत बनाया. सैनिकों के प्रशिक्षण के लिए सैनिक विद्यालय भी खोले गए. वो शासन-व्यवस्था में भी सुधार लाना चाहते थे और इसके लिए उन्होंने प्रयत्न किए. राष्ट्रीय एकता की स्थापना के लिए वो पीकिंग गए और वहाँ के प्रतिनिधियों से वार्ताएँ की जो असफल रही. यही वो समय था जब उन्हें घोर निराशा का सामना करना पड़ा और पीकिंग में ही उनकी मृत्यु हो गई.
Read: बीवी को खुश रखने के लिए बेहद कारगर टिप्स
रजा शाह पहलवी
पहलवी वंश की स्थापना करने वाला रजा खाँ एक योग्य शासक था जिसने ईरान के आधुनिकीकरण का स्वप्न देखा और इसमें काफी सफल भी हुआ. उसने ईरान में 20 हजार मील लंबी सड़कें बनवाई. शरीयत के कानून की जगह उसने फ्रांसीसी और स्विस नियमों के आधार पर कानून बनाए. फौजदारी और दीवानी अदालतों की स्थापना कर उसने काजियों को प्राप्त न्याय संबंधी अधिकार छीन लिए. इस तरह उसने धर्म और राजनीति को अलग कर दिया. ईरान में वह पहला शासक था जिसने पुरूषों के तलाक संबंधी विशेषाधिकार को समाप्त करके नारियों को समान अधिकार प्रदान किया.
Read more:
Read Comments