अगर आस्था हो तो पत्थर में भी भगवान नजर आते हैं. लेकिन अगर आस्था प्रबल हो तो यकीन मानिए पत्थर में जिन्न, भूत, प्रेत भी नजर आने लगते हैं. किसी के लिए वह पत्थर एक ऐसी वस्तु बन जाती है जिससे डर भी लगता है और आस्था भी उसी के अंदर रहती है. इसीलिए ना तो उस रहस्यमय पत्थर से खुद को दूर किया जा सकता है और ना ही उसके साथ अकेले में वक्त गुजारा जा सकता है. वह पत्थर जीता जागता एक ऐसा डर बन जाता है तो समय बीतने के साथ भय का सबब कम रहस्य का ज्यादा बन जाता है.
हो सकता है आपको हमारी इन बातों पर यकीन ना हुआ हो लेकिन हम आपको एक ऐसी जगह के बारे में बताएंगे जिसे सुनने के बाद आपका संदेह पुख्ता हो जाएगा और आप यह सोचने के लिए मजबूर हो जाएंगे कि कुछ ऐसी चीजें हैं जो हमारी समझ से बेहद परे और विस्मयकारी होती हैं.
पुणे से कुछ 25 किलोमीटर दूरी पर शिवपुरी गांव में स्थित कमर अली दुर्गेश की मजार एक ऐसा ही स्थान है जिसके साथ लोगों की आस्था जुड़ी हुई है. इस स्थान पर रोज एक ऐसा चमत्कार होता है जिसके बारे में सुनने वाले क्या इसे स्वयं अपनी आंखों से देखने वाला भी विश्वास नहीं कर पाता कि वाकई उसने यह सब अपनी आंखों से देखा है.
उल्लेखनीय है कि शिवपुर गांव में स्थित जिस मजार का जिक्र हम यहां कर रहे हैं उसमें एक ऐसा पत्थर है जिसका वजन तो 200 किलोग्राम है लेकिन कमर अली दुर्गेश का नाम लेकर अगर 11 लोग मिलकर उस पत्थर पर अपनी तर्जनी अंगुली लगाएं तो वह पत्थर हवा में उड़ने लगता है. यह चमत्कार खास इसलिए भी बन जाता है क्योंकि यह पत्थर सिर्फ तभी अपना जादू दिखाता है जब इसे 11 लोग मिलकर हाथ लगाएं और यह पत्थर मजार की सीमा में ही हो.
उल्लू जैसी हरकतें और कार्टून जैसी शक्ल होगी आपकी
इस पत्थर और मजार से संबंधित स्थानीय लोगों में कई कहानियां प्रचलित हैं. किसी का कहना है कि आज से कई सौ साल पहले शिवपुर गांव में एक जिन्न का कब्जा हो गया था और उस जिन्न को कमर अली दुर्गेश ने एक पत्थर में कैद कर लिया था. कमर अली की मजार पर पड़े इस पत्थर में उसी जिन्न को कैद कर रखा गया है. वहीं कुछ लोग यह कहते हैं कि इस पत्थर के भीतर कमर अली दुर्गेश की ताकतें कैद हैं. लोगों का कहना है कि कमर अली दुर्गेश की मृत्यु के बाद उनकी याद में बनाई गई इस मजार के भीतर उनकी जादुई शक्तियां कैद हैं, जिसकी वजह से भारी-भरकम पत्थर भी रूई की भांति हल्का हो जाता है.
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