आपने वैश्विक इतिहास से संबद्ध दुनियां के अलग-अलग देशों में स्थित ऐसी कई जेलों और बंदीगृह के विषय में अवश्य पढ़ा या सुना होगा जहां कैदियों को अमानवीय तरीके से प्रताड़ित किया जाता था. उदाहरण के तौर पर अंग्रेजी शासनकाल में जब भी कोई भारतीय, ब्रिटिश सरकार के विरुद्ध आवाज उठाता या फिर उनकी राह में बाधा पैदा करता था तो उस व्यक्ति को अपराधी घोषित कर सजा के तौर पर उन्हें अंडमान द्वीप पर स्थित जेल में भेज दिया जाता था. इस जेल का भयावह मंजर और कैदियों को प्रताड़ित करने का तरीका किसी भी व्यक्ति के लिए एक बुरे सपने से कम नहीं हो सकता था. इस जेल की कहानी दुनियां के सामने रखने के लिए इस विषय पर कई फिल्मों का निर्माण भी किया जा चुका है, जिससे अधिकांश लोग वाकिफ भी होंगे.
लेकिन भारत अकेला ऐसा देश नहीं है जहां कैदियों को कठोर सजा देने के लिए विशेष जेलों का निर्माण किया गया था. अमेरिका से लंबे समय तक चले शीत युद्ध के हालातों और अपनी सैन्य क्षमता को लेकर पूरी दुनियां के लिए उत्सुकता का केन्द्र रहे रूस में आज भी ऐसे कई राज उजागर होने बाकी हैं जो विश्व के सामने उसके वास्तविक हालातों को दर्शा सकें. सन 1950-1980 के बीच रूस के साथ पश्चिमी देशों की जासूसी और अनेक दुर्लभ प्रयोगों को संपन्न करने जैसी चर्चाएं जुड़ी रही थीं, लेकिन अब रूस के एक बड़े और अहम राज से पर्दा उठ गया है. यह राज जितना सनसनीखेज है उतना ही भयानक भी.
उल्लेखनीय है कि दुनियां के इतिहास में पहली बार रूस ने अपनी उस जेल का खुलासा किया है जहां उन कैदियों को रखा जाता है जो अत्याधिक खतरनाक या कभी भी रूस के लिए घातक सिद्ध हो सकते हैं. ब्लैक डॉल्फिन नामक यह जेल रूस और कज़ाकिस्तान के बॉर्डर पर स्थित है. इस जेल के अंदरूनी हालातों को देख कर मजबूत से मजबूत व्यक्ति भी सहम सकता है. आंकड़ों की मानें तो इस जेल में 700 से अधिक सबसे ज्यादा दुर्दांत अपराधी रखे जाते हैं.
नेशनल ज्योग्राफिक चैनल पर दर्शाए गए इस जेल से जुड़े कार्यक्रम में यह साफ देखा जा सकता है कि इस जेल में कैद अपराधियों पर किस कदर सख्ती बरती जाती है. इस जेल की सबसे बड़ी विशेषता यहां की बनावट और पहरेदारी है. आपको यह जानकर हैरानी होगी कि इस जेल से आज तक कोई भी कैदी भाग नहीं सका है.
मंदिर का श्राप पत्थर बना देता है भक्तों को
Read Hindi News
Read Comments