भारतीय समाज में गुफाओं के रहस्य को माना जाता है और कहा जाता है कि भारत में जितनी मशहूर गुफाएं हैं वो किसी ना किसी देवी-देवता से संबंध रखती हैं. शायद इसी कारण लोग देवी-देवताओं के दर्शन करने के लिए गुफाओं में जाते हैं और साथ ही लोगों का इन गुफाओं पर विश्वास इतना ज्यादा होता है कि लोगों को लगता है कि पवित्र गुफाओं में जाकर जो भी इच्छा की जाएगी वो पूर्ण हो जाएगी.
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ऐसी ही कुछ रहस्यपूर्ण और जोखिम भरी गुफा है नागराज गुफा….जहां बस वो ही व्यक्ति जा सकता है जो जिन्दगी में जोखिम उठाना जानता हो. नागाराज की गुफा तक पहुंचने का रास्ता अमरनाथ की गुफा से भी कठिन माना जाता है. नागराज की गुफा तक पहुंचने के रास्ते में ऐसी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है जिसे व्यक्ति ने कभी भी किसी यात्रा के द्वारा नहीं किया होता है. हैरानी इस बात की है कि नागराज की गुफा तक पहुंचने वाले व्यक्तियों की नागराज गुफा में इतनी श्रद्धा होती है कि वे इस गुफा तक पहुंचने के लिए किसी भी कठिनाई का सामना कर सकते हैं.
पर कहते हैं ना यदि व्यक्ति में जोखिम उठाने की क्षमता है फिर तो चाहे नागराज गुफा पर चढ़ते और उतरते समय सांप ही क्यों ना आ जाए पर व्यक्ति को डर नहीं लगता. मध्यप्रदेश में छिंदवाड़ा से लगभग 160 किलोमीटर की दूरी पर सतपुड़ा की पहाडिय़ों में स्थित है नाग गुफा और यहां भोपाल के रास्ते से भी पहुंचा जा सकता है. पहाड़ियों से घिरी हुई है नागाराज की गुफा और घने जंगल के रास्तों को पार करते हुए नागराज की गुफा तक जाना होता है. नागपंचमी के दिन नागद्वार के आसपास एक खूबसूरत सा मेला लगता है पर नागपंचमी पर नागद्धार के पास इतनी भीड़ होती है कि बहुत कम व्यक्ति ही नागपंचमी पर नागद्धार जाने का साहस दिखा पाते हैं.
नागद्वार या नागद्वारी दुनियाभर के हिंदू धर्मप्रेमियों का एक ऐसा स्थल है, जहां आने की सब कामना करते हैं, लेकिन इच्छा कम ही की पूरी होती है. नागद्वारी में चिंतामणि की गुफा है, जो लगभग 100 फीट लंबी है, जिसमें नागदेव की मूर्तियां हैं.
स्वर्गद्वार चिंतामणि से लगभग आधा किमी दूरी पर स्थित एक गुफा है, जिसमें भी नागदेव की मूर्तियां हैं. ऐसी मान्यता है कि जो लोग नागद्वार जाते हैं, उनकी मनोकामना अवश्य पूरी होती है. नागद्धार तक पहुंचने की सबसे खास बात यह है कि ऊंची-नीची दुर्गम पहाडिय़ों के बीच बने रास्तों पर यात्रियों के लिए किसी तरह का आश्रय स्थल नहीं है. जिसका अर्थ यह है कि बस लगातार चलते जाना है. यहां तक कि उन्हें खड़ा होने और बैठने के लिए भी स्थान नहीं मिलता है. पर इन सब कठिनाइयों को उठाने के बाद भी यात्री नागद्धार की गुफा तक पहुंचने के रास्ते में आनंद प्राप्त करते हैं. नागद्धार की गुफा के आसपास अधिकांशतः ठंडक होती है जिसमें यात्रा करने का आंनद यात्री उठा पाते हैं. कुछ बातों पर आज भी हैरानी होती है कि आज के समय में भी ऐसे लोग हैं जो पूरी श्रद्धा के साथ एक गुफा के दर्शन के लिए जाते हैं पर सोचने वाली बात यह है कि गुफा तक पहुंचने वाले रास्ते में जितनी भी कठिनाइयां आती हैं यात्रियों को उनसे डर नहीं लगता है.
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