संसार में ऐसी बहुत सी जगहें हैं जो रहस्यपूर्ण होती हैं. साथ ही कुछ जगह ऐसी भी हैं जो कई हजारों साल बाद भी रहस्यपूर्ण बनी रहती हैं. जब भी हमारे सामने कोई किसी रहस्यपूर्ण जगह के बारे में बातें करता है तो हमारे दिलो-दिमाग में कई तरह के प्रश्न पैदा होने लगते हैं. ऐसा ही कुछ हाल है प्रकृति की एक खूबसूरत पहाड़ी का. अरावली पर्वत श्रृंखला के पास एक ज्वालामुखी है जिसे ज्वालामुखी तो कहा जाता है पर कई हजार सालों से इस ज्वालामुखी में कोई भी विस्फोट नहीं हुआ है. इस ज्वालामुखी को धोसी पहाड़ी के नाम से भी जाना जाता है. कहा जाता है कि इस धोसी पहाड़ी से कई आयुर्वेद के रहस्य जुड़े हुए हैं.
पहाड़ी में कई आयुर्वेद तत्व
धोसी पहाड़ी जो कहने को तो ज्वालामुखी है पर वास्तविक रुप में अपने भीतर कई आयुर्वेदिक गुणों को समेटे हुए है, जैसे उनमें से एक है च्यवनप्राश. आयुर्वेद की सबसे महान खोज च्यवनप्राश को माना जाता है पर शायद ही कोई यह जानता होगा कि च्यवनप्राश जैसी आयुर्वेदिक दवा धोसी पहाड़ी की देन है. धोसी पहाड़ी हरियाणा और राजस्थान की सीमा पर स्थित है. धोसी पहाड़ी के बारे में वहां के लोगों का कहना है कि धोसी पहाड़ी एक चमत्कारी पहाड़ी है और साथ ही वहां के लोगों का यह भी कहना है कि धोसी पहाड़ी के रहस्य को ना कोई जान पाया है ना जान पाएगा. विशेषज्ञ भी अगर धोसी पहाड़ी का रहस्य और धोसी पहाड़ी के आयुर्वेदिक गुणों के बारे में पता लगाने की कोशिश करें तो सिर्फ उनके हाथ असफलता ही लगेगी.
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रहस्यपूर्ण पहाडी की अजब-गजब बातें
धोसी पहाड़ी रहस्यपूर्ण तो है ही पर साथ में धोसी पहाड़ी की बातें अजीबो-गरीब हैं. धोसी पहाड़ी के नीचे एक गांव पड़ता है जिस गांव का नाम धुंसरा गांव है. धुंसरा गांव के लोगों का कहना है कि धोसी पहाड़ी के उपर कई ऋषियों ने तपस्या की है जिस कारण धोसी पहाड़ी में आयुर्वेद के महान तत्व स्थापित हो चुके हैं. लगभग 5100 वर्ष पूर्व पांडव भी अपने अज्ञातवास के दौरान यहां आए थे. आज भी पहाड़ी के एक तरफ ठोस लावा देखा जा सकता है, जो कि लाखों वर्ष पुराना है.
ब्रह्राव्रत रिसर्च फाउंडेशन, जो वैदिक काल के लिखे वेदों की रिसर्च करता है, की रिसर्च यह कहती है कि धोसी पहाड़ी पर बैठकर ही महान वेदों की रचना की गई है. धोसी पहाड़ी ऐसी चमत्कारी पहाड़ी है कि जो भी महान व्यक्ति इस पहाड़ी पर बैठकर जो भी वेद लिखता है यह धोसी पहाड़ी व्यक्ति और वेद के महान तत्व अपने अंदर स्थापित कर लेती है. 46 दुर्लभ जड़ी-बूटियों को मिलाकर पहली बार यहीं च्यवनप्राश का फार्मूला तैयार किया गया था. ‘कायाकल्प’ के निर्माण के प्रमाण भी यहीं मिलते हैं.
‘कायाकल्प’ एक ऐसी औषधि थी, जिसे अच्छी त्वचा और स्वास्थ्य के लिए तैयार किया गया था और इस कायाकल्प का निर्माण भी धोसी पहाड़ी पर ही किया गया था. हैरानी वाली बात यह है कि हेमचंद्र विक्रमादित्य राजा को भी धोसी पहाड़ी की महानता का अहसास हो गया था जिस कारण धोसी पहाड़ी के आयुर्वेद तत्वों को सुरक्षित रखने के लिए धोसी पहाड़ी के ऊपर एक किले का निर्माण किया गया. धोसी पहाड़ी का रहस्य आज भी कायम है कि आखिरकार इसमें ऐसा क्या है जो महान वेदों, महान व्यक्तियों, ऋषियों के महान गुण अपने अंदर स्थापित कर लेती है और साथ में यह भी कि जब यह पहाड़ी ज्वालामुखी है तो कभी भी इसमें कोई विस्फोट क्यों नहीं हुआ है.
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