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मूव असाइड शीला की जवानी, दादा का बुढ़ापा इज मच हॉटर
भारतीय क्रिकेट जगत में अगर सचिन को भगवान का दर्जा प्राप्त है तो उनके साथ एक ऐसा भगवान भी है जिसे लोग अपने दिलों में बसाते हैं और जिसे लोग जोश और जुनून का नाम मानते हैं. सौरव गांगुली भारतीय क्रिकेट टीम के ऐसे सितारे हैं जिन्होंने अपने जोश और उत्साह से हमेशा ही लोगों को रोमांचित किया है.
याद होगा इंग्लैड के लॉर्ड्स मैदान पर बालकनी में सौरव गांगुली का टी-शर्ट लहराकर भारतीय टीम की जीत का जश्न मनाने का अंदाज. क्रिकेट जगत में अकसर लोग भद्र जनों के खेल की वजह से अपनी जीत की खुशी को एक सीमा के अंदर रखते हैं लेकिन जिस समय ठंड के मौसम में दादा ने अपनी टी-शर्ट लहराकर अपनी जीत का जश्न मनाया था तब से क्रिकेट के मायने बदल गए. अक्सर एक कप्तान को ऐसा सदस्य माना जाता है जो पूरी टीम को एक साथ बनाकर चलने के लिए हमेशा प्यार से काम लेता है. यह काम गांगुली ने भी बखूबी किया लेकिन जब जरूरत हुई तो दादा को अपनी ही टीम वालों को डांटते हुए भी देखा गया. और ऐसा नहीं था कि इस गाली और डांट का टीम पर कोई निगेटिव असर पड़ा हो उलटा उनकी डांट ने हमेशा टीम को जीत ही दिलाई. मैदान पर दादा हमेशा अपनी टीम के साथ नजर आए. चाहे सचिन को बार-बार आउट दिए जाने पर अंपायर से बहस करना हो या जवागल श्रीनाथ को वापस लाने का फैसला सौरव ने टीम इंडिया को एक इकाई के रूप में खेलना सिखाया.
आज भारतीय टीम में जितने भी सितारे नजर आते हैं उनमें से ज्यादा को सौरव की पारखी निगाहों ने ही परखा था. युवराज सिंह, मोहम्मद कैफ, हरभजन सिंह, धोनी, इरफान पठान, जहीर खान आदि खिलाडियों को सौरव ने ही टीम में बार-बार मौके दिए और उनकी ही बदौलत आज की टीम खड़ी हो पाई है. सचिन, द्रविड, लक्ष्मण और कुंबले जैसे सीनियर खिलाड़ियों को टीम में सही जगह देना और युवाओं के लिए जगह बनाने जैसे दो मुख्य काम उन्होंने एक ही समय में किए. जब वह कप्तान थे तो टीम में युवाओं को कभी शिकायत नहीं हुई.
पीटरसन की विकेट
गांगुली का जोश मैदान पर सबसे जुदा था और आज भी है. कहा जाता है कि टी20 किक्रेट नौजवानों का खेल है. आईपीएल-5 में शानदार प्रदर्शन कर सौरव गांगुली और राहुल द्रविड़ ने इस मिथक को तोड़ दिया है. दिल्ली के खिलाफ मैच में पीटरसन की विकेट लेने के बाद गांगुली की स्टाइल देखकर लॉर्ड्स में टीशर्ट उतार कर भागने वाले गांगुली की याद ताजा हो गई. उनकी दौड़ देखकर पुराने दिनों की याद ताजा हो गई. वही आक्रामकता, वहीजोश और सूझ-बूझ भरी कप्तानी पारी. वाकई क्रिकेट जोश और आक्रामकता का खेल है.
यूं तो सौरव गांगुली कई बार विवादों में घिरे रहे लेकिन उसके बाद भी अपने आलोचकों का शानदार प्रदर्शन से मुंह बंद कर दिया. क्रिकेट जगत में अगर सचिन का रुतबा सिनेमा के अमिताभ बच्चन जैसा है तो सौरव गांगुली क्रिकेट के दबंग सलमान खान हैं. चाहे आज भारतीय क्रिकेट टीम में धोनी, रैना, जडेजा जैसे नए सितारों की भीड़ हो पर जब बात सौरव गांगुली की आती है तो उनका मुकाबला कोई नहीं कर सकता. दादा ऑलवेज रॉक्स!!!!!
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