Menu
blogid : 26587 postid : 7

मीडिया पर सरकारी नज़र!

Shivesh Mishra
Shivesh Mishra
  • 4 Posts
  • 1 Comment

आज बात देश की कर लेते हैं और देश की बात है तो निश्चित ही वो आपके और आपके अपनों के मतलब की जरूर होंगी। जब भी मैं टीवी पर, अखबारों में, होर्डिंग्स में देश बदल रहा है, सबका साथ सबका विकास, देश आगे बढ़ रहा है… ऐसे नारो को पढ़ता-सुनता हूँ तो जहन में एक प्रश्न जरूर आता है और अगर आप जिम्मेदार नागरिक हैं तो आपके मन में भी ये सवाल जरूर आता होगा की क्या वाकई जो ये नारों में है वो जमीन पर उतर भी रहा है ! क्या सही मायने में देश का विकास हो रहा है ! या केवल ये माहौल बनाने की कोशिश की जा रही है सरकार के द्वारा !!
शुरुआत आज के टीवी डिबेट से कर लेते हैं। आये दिन इनमे केवल और केवल हिन्दू-मुस्लिम पर चर्चा होती रहती है। बीजेपी तुस्टीकरण का आरोप लगती है तो कांग्रेस ध्रुवीकरण का। सिर्फ आरोप-प्रत्यारोप चलते हैं और इससे निकल कर भी कुछ नही आता। लेकिन इन शोरगुल में हमे क्या मिला ये हमने सोचा ? हमारे मूल मुद्दे इसमे दबाये तो नही जा रहें ? देश में जो असल मुद्दे हैं जिनसे हमारा सीधा सरोकार होता है उनपे बात क्यों नही होती ? मसलन, रोजगार का मसला हो या शिक्षा का, किसानों का हो या गरीबो का, तमाम ऐसे मुद्दे हैं जिनपे बात करने से सरकारें बचती रहीं हैं। चाहे वो मौजूदा सरकार हो या जो आज विपक्ष में होके आरोप लगा रहें हैं वो हों। असल मुद्दों पर नारों और वादों के अलावा शायद ही कुछ मिला है ! मौजूदा सरकार कितने भी नारे लगाये, अखबारों में बड़ी-बड़ी विकास की बातें करें लेकिन ज़मीनी हकीकत उन सभी से इतर है। और इसके लिए केवल सरकार जिम्मेदार है ऐसा नही है, विपक्ष की भी उतनी ही जिम्मेदारी है। लेकिन विपक्ष केवल विरोध के लिए विरोध की नीति पर चल रही है। जनता से जुड़े मुद्दों पर संसद में हंगामा हो ऐसा कम ही देखने को मिलता है।
खैर, सरकार अपना प्रचार करे लेकिन अगर उनमे जो खामियां हैं उन्हें अगर कोई उजागर करे तो उनपर सवाल उठाना या रोक लगाना कहाँ तक जायज है ! क्या जनता को ज़मीनी हकीकत को बताने से बचना चाहती है सरकार ? मीडिया का अहम किरदार होता है सच्चाई दिखाने में। लेकिन क्या सिर्फ सरकार का गुणगान करना ही मीडिया का काम होना चाहिए ? क्या सरकार की कमियां दिखाना गलत है ? हालिया मामला एक बड़े राष्ट्रीय टीवी चैनल से जुड़ा है। #एबीपी से तीन पत्रकारों ने खुद इस्तीफा दिया या उनपे दवाब बना के दिलवाया गया ये तो अलग विषय है लेकिन ऐसे कार्यक्रम जिसमे जमीनी हकीकत दिखाई जा रही हो उसमे एक तय समय में सिग्नल फ्रीज़ हो जाना या रुक रुक कर आना ये भी संदेहहास्पद है क्योंकि जैसे ही #पुण्य_प्रसून जी ने #मास्टरस्ट्रोक छोड़ा उसका सिग्नल ठीक हो गया।
दो पत्रकारों की चर्चा करना चाहूंगा। पुण्य प्रसून और रवीश कुमार। हर कोई इनसे सहमत हो ऐसा जरूरी नही । मैं खुद इनसे हर मसले पर सहमत नही होता क्योंकी ये एकपक्षीय बात करते हैं। लेकिन अगर आप इनके दिखाये रिपोर्ट पर गौर करेंगे और निष्पक्ष होकर सोचेंगे तो आपको भी इनमे सच्चाई जरूर नजर आयेगी। चाहे आप किसी पार्टी या विचारधारा से जुड़े हो या समर्थक हों लेकिन कभी आप निस्पक्ष होकर जरूर देखें। सभी मुद्दे हमसे सीधे जुड़े होते हैं। आप रवीश कुमार की न्यूज़ सीरीज ही देख लीजिये, सभी छात्र हित के होते हैं। वो हमेशा छात्र की पड़ेशानियों पर लिखते हैं और उनको प्राइम टाइम में दिखाते भी हैं। जहां कुछ पत्रकार केवल सरकार की तारीफ में लगे होते है वहीं ये छात्रों की समस्या को तरजीह देते हैं। चाहे वो #SSC घोटाला हो या नौकरी ना देने का मामला हो या फिर इनदिनों #ALP परीक्षा में बिहार के छात्रों का परीक्षा केंद्र हैदराबाद, बैंगलोर, इंदौर जैसे दूर जगहों पर देने का मामला हो हर समस्या को ये अपने प्राइम टाइम में जगह देते हैं। पुण्य प्रसून की ही बात कर ली जाये। सरकार दावा करती है की जगह-जगह शौचालय बनाया गया, महिलाओं को मुफ्त गैस कनेक्सन दिया गया लेकिन जब इनके रिपोर्टर गांवों में लोगों से बात करते हैं, जमीनी हकीकत देखते हैं तो मामला कुछ और नजर आता हैं। क्या इस सच्चाई से ये मुह फेड़ लें वो सही होगा ?
बात रोजगार की ही कर लें। सरकार खुद संसद में आंकड़े देती है जो #घंटीबजाओ में भी दिखाया गया की विभिन्न क्षेत्रों में चाहे वो सेना, अर्धसैनिक बाल, अस्पताल, विश्विद्यालय, स्कूल, मंत्रालय, सीबीआई इत्यादि जो भी हो सभी में ही अगर सरकार चाहे तो #24_लाख लोगों को रोजगार दे सकती है। सरकार रोजगार की तो बात करती है लेकिन जो रोजगार इनके हाथों में है उन्हें नही देती। सिर्फ मुद्रा-मुद्रा चिल्लाती है।
लिखने को बहुत सी कमजोरियां और असफलताएं हैं इस सरकार की लेकिन कितना लिखा जाये। इसलिए सभी से आग्रह है की कमियों को नज़रंदाज़ ना करें। प्रचार और पैकेजिंग से कितना भी सामान को अच्छा दिखाया जाए लेकिन अगर वो अंदर से खोखला है तो उस झूठी अच्छाई का कोई मतलब नही है।
अंत में यही कहूंगा की आंख से ” सब सही है, देश बदल रहा है, विकास हो रहा है ” के चश्मे को हटाइए और सच्चाई देखिये और सरकार की आलोचना जरूर करिये। विपक्ष को भी देखना मत भूलियेगा क्योंकि वो भी पाक साफ नही हैं। झोल उनमे भी हैं या यूँ कहे तो ज्यादा झोल उधर ही है। किसी की भावना आहत हुई हो तो इसके लिए माफी।

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    CAPTCHA
    Refresh