थोडा हल्का - जरा हटके (हास्य वयंग्य )
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ट्रेन चली जा रही थी। फर्स्ट क्लास के एक कूपे में चार लोग बैठे थे – एक अधेड़ महिला, एक खूबसूरत युवती, एक अपने देश का युवक और एक पड़ोसी देश का युवक।
चारों एक दूसरे के लिये बिल्कुल अपरिचित।
रास्ते में एक टनल आया। पता नहीं इलेक्ट्रिक सिस्टम में क्या खराबी थी कि बिजली का बल्ब जला नहीं। कूपे में घुप्प अंधेरा छा गया। हाथ को हाथ सुझाई नहीं दे रहा था।
कूपे के बाकी लोगो ने चूमने की और झापड़ पड़ने की आवाज को सुना और उसी के विषय में सोचने लगे।
युवती ने सोचा पता नहीं इनमें से किस युवक ने अधेड़ महिला को चूमा है। पर जिसने भी चूमा है अवश्य ही बहुत बड़ा बेवकूफ है। मेरे जैसी खुबसूरत लड़की को छोड़कर अधेड़ औरत को चूमेगा तो झापड़ तो पड़ेगा ही।
और पड़ोसी देश के युवक ने सोचा क्या अन्याय है। चूमा सामने वाले ने और झापड़ मुझे खाना पड़ा।
इसी को कहते हैं मुण्डे मुण्डे मतिर्भिन्ना!
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