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वैलेंटाइन वीक पर एक कविता (गले मिला ना करो)

थोडा हल्का - जरा हटके (हास्य वयंग्य )
थोडा हल्का - जरा हटके (हास्य वयंग्य )
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हाथ मिलाये मुझसे गले मिला न करे

बाबजूद इसके भी दिल गिला न करे ॥

वो सिला देते है यहाँ भलाई का लोग

कि भला आदमी फिर कभी भला न करे ॥

रोज रोज ही टूट जाते है ख्वाब मेरे

उससे कहो नींद मे आंखें मला न करे ॥

उसने चूम के सुनहरा कर दिया मुझे ॥

अब तो धूप भी मुझे सांवला न करे

अब तो मुझसे बर्दाश्त ही नहीं होता

कोइ दोस्त बिना बात छला न करे ॥

हमने रूहों को तहलील कर लिया दोस्तों

गर खुदा चाहे भी तो फासला न करे ॥

सुना लकडियाँ कम हो गयी जंगल में

कहा गरीब के घर चूल्हा जला न करे ॥

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