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बादशाह अकबर के दरबारियों को अक्सर यह शिकायत रहती थी कि बादशाह हमेशा बीरबल को ही बुद्धिमान बताते हैं, औरों को नहीं।
एक दिन बादशाह ने अपने सभी दरबारियों को दरबार में बुलाया
और दो हाथ लंबी दो हाथ चौड़ी चादर देते हुए कहा- ‘इस चादर से तुम लोग मुझे सिर से लेकर पैर तक ढंक दो तो मैं तुम्हें बुद्धिमान मान लूंगा।’
सभी दरबारियों ने कोशिश की किंतु उस चादर से बादशाह को पूरा न ढंक सके, सिर छिपाते तो पैर निकल आते, पैर छिपाते तो सिर चादर से बाहर आ जाता।
आड़ा-तिरछा लंबा-चौड़ा हर तरह से सभी ने कोशिश की किंतु सफल न हो सकें।
अब बादशाह ने बीरबल को बुलाया और वही चादर देते हुए उन्हें ढंकने को कहा।
जब बादशाह लेटे तो बीरबल ने बादशाह के फैले हुए पैरों को सिकौड़ लेने को कहा।
बादशाह ने पैर सिकौड़े और बीरबल ने सिर से पांव तक चादर से ढंक दिया।
अन्य दरबारी आश्चर्य से बीरबल की ओर देख रहे थे। तब बीरबल ने कहा- ‘जितनी लंबी चादर उतने ही पैर पसारो।’
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