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किसी समय बीरबल ने बादशाह अकबर को यह कहावत सुनाई थी कि खाकर लेट जा और मारकर भाग जा- यह सयाने लोगों की पहचान है। जो लोग ऐसा करते हैं, जिंदगी में उन्हें किसी भी प्रकार का दुख नहीं उठाना पड़ता।
दोपहर का समय था। उन्होंने सोचा, बीरबल अवश्य ही खाना खाने के बाद लेटता होगा।
आज हम उसकी इस बात को गलत सिद्ध कर देंगे। उन्होंने एक नौकर को अपने पास बुलाकर पूरी बात समझाई और बीरबल के पास भेज दिया।
बीरबल बुद्धिमान तो थे ही, उन्होंने समझ लिया कि बादशाह ने उसे क्यों तुरंत आने के लिए कहा है।
इसलिए बीरबल ने भोजन करके नौकर से कहा- ‘ठहरो, मैं कपड़े बदल कर तुम्हारे साथ ही चल रहा हूं।’
उस दिन बीरबल ने पहनने के लिए चुस्त पायजामा चुना। पाजामे को पहनने के लिए वह कुछ देर के लिए बिस्तर पर लेट गए। पाजामा पहनने के बहाने वे काफी देर बिस्तर पर लेटे रहे। फिर नौकर के साथ चल दिए।
जब बीरबल दरबार में पहुंचे तो बादशाह अकबर ने कहा- ‘कहो बीरबल, खाना खाने के बाद आज भी लेटे या नहीं?’
‘बिल्कुल लेटा था जहांपनाह।’
बीरबल की बात सुनकर बादशाह अकबर ने क्रोधित स्वर में कहा- ‘इसका मतलब, तुमने हमारे हुक्म की अवहेलना की है।
हम तुम्हें हुक्म उदूली करने की सजा देंगे। जब हमने खाना खाकर तुरंत बुलाया था, फिर तुम लेटे क्यों?
‘बादशाह सलामत!
मैंने आपके हुक्म की अवहेलना कहां की है।
मैं तो खाना खाने के बाद कपड़े पहनकर सीधा आपके पास ही आ रहा हूं। आप तो पैगाम ले जाने वाले से पूछ सकते हैं। अब यह अलग बात है कि यह चुस्त पायजामा पहनने के लिए ही मुझे लेटना पड़ा था।’ बीरबल ने सहज भाव से उत्तर दिया।
बादशाह अकबर बीरबल की चतुरता को समझ गए और मुस्करा पड़े।
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