Menu
blogid : 355 postid : 522

वाकई इनका दिमाग खराब है : जागरण जंक्शन फोरम

थोडा हल्का - जरा हटके (हास्य वयंग्य )
थोडा हल्का - जरा हटके (हास्य वयंग्य )
  • 247 Posts
  • 1192 Comments

यूं तो मैंने यह ब्लॉग कुछ हल्का और हटके लिखने के लिए बनाया था लेकिन इस बार के जागरण जंक्शन के फोरम ने मुझे कुछ ज्वलंत लिखने पर मजबूर कर ही दिया. वैसे मुझे इस बार के “समलैंगिकता – विकृति या सामाजिक अपराध ?” टॉपिक से कोई परेशानी नहीं  लेकिन मुझे तो परेशानी है इसका समर्थन करने वाले लोगों से जो बिना सिर-पैर के इस बीमारी या कहूं विकृति का समर्थन किए जा रहे हैं.


cartoon on homosexulityअभी एक पाठक हैं जिनका नाम “बेचारा हिंदुस्तानी” है (पता नहीं सही नाम है या गलत), उन्होंने कुछ इस अंदाज में समलैंगिकता का समर्थन किया है जैसे जागरण जंक्शन वाले समलैंगिकों को नहीं उन्हें ही डांट रहे हों. अब एक बात बताओ फोरम होता किसलिए है? इसीलिए ना कि सब आएं अपनी राय रखें, वाद विवाद करें. लेकिन यहां तो जिसे देखो अपनी बात को ही समाज की राय बताने पर लगा हुआ है.


समलैंगिकता के ऊपर मेरा विचार यह है कि यह एक मानसिक बीमारी है जिसका इलाज हमारे मनोचिकित्सक विशेषज्ञों के पास है. कुछ लोग यहां तर्क दे रहे हैं कि समाज में जब एक लड़की या लड़का समानलिंगी व्यक्ति के साथ ज्यादा समय तक रहता है तो उसके साथ भावनात्मक और सेक्सुअल तरीके से जुड़ जाता है. लेकिन एक बात बताओ क्या यह तर्क इस विवाद को पैदा नहीं करेगा कि साथ-साथ तो हम अपने परिवार के साथ भी रहते हैं तो क्या…. (आगे भावनाओं को समझें… ना समझ आए तो कमेंट करें).


tumblr_l4k2nt56Xg1qak0qdo1_500इसके साथ ही क्या भारतीय समाज में यह समलैंगिकता शोभा देती है. जहां हम अपने बच्चों को बचपन से ही सभ्यता और संस्कृति पर नाज करना सिखाते हैं वहां कल क्या हम अपने बच्चों को यह सिखाएंगे कि बेटा लड़का होकर किसी लड़के से प्यार मर करियो.


जो लोग इस सामाजिक विकृति को कानूनी मान्यता दिलाने के ठेकेदार बन रहे हैं क्या वह देश की बिगड़ती न्याय व्यवस्था और बच्चों और लड़कियों के हो रहे शोषण से अनजान हैं. आए दिन देश में रेप, बलात्कार और ना जानें कैसे-कैसे शारीरिक शोषणों की खबरें आती जा रही हैं जिसमें ध्यान देने वाली बात है कि कुछ ही घटनाएं प्रकाश में आ पाती हैं और ना जाने कितने तो चुप रहकर इस शोषण को भोगने के लिए मरते रहते हैं. ऐसे में समलैंगिकता को कानूनी मान्यता देना कितना बकवास सा लगता है.


Homosexulityदेश में इस समय तमाम घोटाले चल रहे हैं लेकिन सरकार और न्यायपालिका को “लोकपाल” की जगह गे-कानून बनाने की जल्दी है. अभी दो दिन पहले वेश्यावृत्ति को मान्यता देने की बात चल रही थी. कसम से ऐसे ऊटपटांग कानून बना कर यह सरकार दिखा देना चाहती है कि यह भारत की अब तक की “काली सरकार” कहलाने की असली हकदार है.

आज हम एक अजीबो गरीब प्राणी के बारे में पढायेंगे

इन नए और बिना सिर-पैर वाले कानून को बनाकर कोई क्राइम रेट कम नहीं होने वाला बल्कि इससे सरकार में बैठे भक्षकों की भूख मिटाने का नया रास्ता खुलेगा. पैसा इनके पास घोटालों से आ ही जाता है, पर कहते हैं दमड़ी के साथ चमड़ी का मजा ही अलग होता है और हमारे नेतागणों ने तो अय्याशी में पी.एच.डी. की हुई है सो यह कवाब के साथ शवाब का अलग ही शौक रखते हैं. ऐसे कई नेता हैं जो अपने घर को जिस्मफरोशी की दुकान बना कर रखते हैं और जिनकी पार्टियां जिस्म की गुड़ियाओं के बिना अधूरी होती हैं.


सरकार, न्यायव्यवस्था और बिजनेस का मेल हमारी संस्कृति को नंगा करने पर तुला हुआ है और समाज में जनता तो उस से भी गई गुजरी है जिसे अपनी आजादी के मद में सब जायज लगता है. हम आजाद हैं लेकिन क्या इसका मतलब है कि हम नंगा होकर घूमें फिरें. समाज के प्रति हमारी कोई जिम्मेदारी है या नहीं? क्या महान भारतीय संस्कृति अब अतीत के पन्नों और इतिहास की किताब में ही मिला करेगी? देखिए यह यूपीए सरकार और कैसे-कैसे गंद मचाती है.

कब मर रहे हैं : हिन्दी हास्य कविता

यदि प्रेमी से कोई गलती हो जाए

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    CAPTCHA
    Refresh