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रहीम के दोहे अर्थ सहित

थोडा हल्का - जरा हटके (हास्य वयंग्य )
थोडा हल्का - जरा हटके (हास्य वयंग्य )
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तरुवर फल नहिं खात है, सरवर पियहि न पान।

कहि रहीम पर काज हित, संपति संचहि सुजान।।1।।

अर्थ : कविवर रहीम कहते हैं कि जिस तरह पेड़ कभी स्वयं अपने फल नहीं खाते और तालाब कभी अपना पानी नहीं पीते उसी तरह सज्जनलोग दूसरे के हित के लिये संपत्ति का संचय करते हैं।

Rahim ke Dohe

Saturnतन रहीम है कर्म बस, मन राखो ओहि ओर।

जल में उल्टी नाव ज्यों, खैंचत गुन के जोर।।2।।

अर्थ : कविवर रहीम कहते हैं कि अपना शरीर तो कर्म के फल के नियंत्रण में है पर मन को भगवान की भक्ति में लीन रखा जा सकता है। जैसे जल में उल्टी नाव को रस्सी से खींचा जाता है वैसे ही मन को भी खींचना चाहिए।


रहिमन वहां न जाइये, जहां कपट को हेत।

हम तन ढारत ढेकुली, संचित अपनी खेत।।3।।

अर्थ: कविवर रहीम कहते हैं कि उस स्थान पर बिल्कुल न जायें जहां कपट होने की संभावना हो। कपटी आदमी हमारे शरीर के खून को पानी की तरह चूस कर अपना खेत जोतता है/अपना स्वार्थ सिद्ध करता है।

शायरी हिन्दी में – Friendship Day SMS 1: SMS Shayari on dosti


रहिमन सीधी चाल सों, प्यादा होत वजीर।

फरजी साह न हुइ सकै, गति टेढ़ी तासीर।।4।।

अर्थ: कविवर रहीम कहते हैं कि शतरंज के खेल में सीधी चाल चलते हुए प्यादा वजीर बन जाता है पर टेढ़ी चाल के कारण घोड़े को यह सम्मान नहीं मिलता।


संतत संपति जानि कै, सबको सब कुछ देत

दीन बंधु बिन दीन की, कौ रहीम सुधि लेत।।5।।

अर्थ: कविवर रहीम कहते हैं कि जिनके पास धन पर्याप्त मात्रा में लोग उनको सब कुछ देने को तैयार हो जाते हैं और जिसके पास कम है उसकी कोई सुधि नहीं लेता।

Kabir ke dohe: कबीर के दोहे हिन्दी में अर्थ सहित


संपति भरम गंवाइ के, हाथ रहत कछु नाहिं

ज्यों रहीम ससि रहत है, दिवस अकासहिं मांहि।।6।।

अर्थ: कविवर रहीम कहते हैं कि भ्रम में आकर आदमी तमाम तरह की आदतों का शिकार हो जाता है और उसमें अपनी संपत्ति का अपव्यय करता रहता है और एक दिन ऐसा आ जाता है जब उसके पास कुछ भी शेष नहीं रह जाता। इसके साथ ही समाज में उसकी प्रतिष्ठा खत्म हो जाती है।



Rahim ke dohe with hindi meanings


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