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उर्मिला मातोंडकर: बॉलिवुड की पहली आइटम क्वीन
कौन सोच सकता था फिल्म “चाइना टाउन” में किए गए उर्मिला मातोंडकर के आइटम नंबर के बाद हिन्दी सिनेमा में आइटम गानों की बाढ़ आ जाएगी. उर्मिला मातोंडकर ने हिन्दी सिनेमा को कई बेहतरीन फिल्में दी हैं लेकिन हिन्दी सिनेमा की इस अभिनेत्री की शुरूआत जितनी बेहतरीन हुई थी उसका अंत उतनी ही जल्दी हो गया. आज उर्मिला का जन्मदिन है तो चलिए जानते हैं इस बेहतरीन अभिनेत्री के बारें में चंद बातें.
उर्मिला का जन्म 4 फरवरी 1974 को मुंबई में हुआ था. उर्मिला उन चन्द अभिनेत्रियों में से हैं जिन्होंने अपने कॅरियर को बतौर बाल कलाकार शुरु किया था और वह अभी भी सिनेमा के क्षेत्र में बनी हुई हैं. उन्होंने 1980 से फिल्मों में काम करना शुरु कर दिया था. 1980 में कलयुग नामक फिल्म में बतौर बाल कलाकार अभिनय की शुरुआत की और फिर 1991 में नरसिंहा नामक फिल्म से उन्होंने लीड हिरोइन की तरह काम करना शुरु किया.
कॅरियर की शुरुआत में उर्मिला को असफलता का सामना करना पड़ा. उनकी सफलता की कहानी का पहला अध्याय रामगोपाल वर्मा ने लिखा, जब उन्होंने “रंगीला” में उन्हें नए रूप में पेश किया और यहीं से उर्मिला को सेक्सी हीरोइन का दर्जा भी मिला. “रंगीला” की सफलता के बाद रामगोपाल वर्मा की वे चहेती हीरोइन मानी जाने लगीं. रामू की फिल्मों में उर्मिला ने अलग-अलग किरदारों को सफलता पूर्वक निभाया. राजकुमार संतोषी की “चाइना गे” के गीत छम्मा-छम्मा.. से उन्होंने आइटम गर्ल का नया ट्रेंड शुरू किया, जो आज जोर-शोर से फिल्मों में चल रहा है, लेकिन कहते हैं कि हर उगने वाले सूरज को अस्त भी होना पड़ता है.
लेकिन रंगीला में उर्मिला को स्टारडम देने वाले रामू के साथ उनके रिश्तों में गिरावट का उनके कॅरियर पर बुरा असर हुआ. उनकी सफलता का सफर एक तरह से थम गया. एक जमाना था, जब रामू के साथ उर्मिला के अफेयर के किस्से हॉट माने जाते थे. लेकिन जब से रामू ने उर्मिला का साथ छोड़ा तब से इस अभिनेत्री का दौर ही खत्म हो गया.
अपने कॅरियर में उर्मिला ने रंगीला, जुदाई, अफलातून, जानम समझा करो, खूबसूरत, जंगल, लज्जा आदि जैसे सुपरहिट फिल्में की हैं. वह आखिरी बार साल 2008 की फिल्म “ईएमआई” में नजर आई थीं.
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