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एक मनोरंजक हास्य कथा से समझिए जुगाड़ पर चलते भारतवर्ष की कहानी.
कुछ विदेशी सैलानी भारत घूमने आए. एक गांव में उनकी बीएमडब्ल्यू कार खराब हो गई. एक लोकल मकैनिक ने उसे ठीक कर दिया तो विदेशी सैलानी बहुत हैरान हुए. उन्होंने मकैनिक से पूछा कि कैसे ठीक किया तो मकैनिक ने कहा , ‘ जुगाड़ से ‘ .
सैलानियों को ट्रेन का टिकट नहीं मिल रहा था लेकिन एक एजेंट ने उन्हें टिकट दिलवा दिया. वे फिर हैरान हुए और पूछा कि कैसे हुआ , तो जवाब मिला , ‘ जुगाड़ से ‘ .
और भी कुछ जगह उन्हें दिक्कत आई लेकिन हर जगह ‘ जुगाड़ ‘ से उनका काम बनता गया.
वे ‘ जुगाड़ ‘ के सिस्टम से इतने प्रभावित हुए कि अपने देश लौट कर उन्होंने अपने प्रधानमंत्री को लेटर लिखा कि भारत से ‘ जुगाड़ ‘ सिस्टम को मंगाया जाए , यह हर बिगड़ा काम बना देता है.
उनके पीएम ने जब भारत के पीएम से ‘ जुगाड़ ‘ मांगा तो भारत के पीएम ने कहा , ‘ हम नहीं दे सकते , आखिर हमारी सरकार भी तो जुगाड़ से ही चलती है ‘!
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