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आदरणीय पाठकों से अनुरोध है कि निम्न बातों पर जरा सा भी ध्यान ना दे और बिना सैर-पैर की इस संवाद का हंसी के साथ मजा ले. एक अप्रैल यानि हास्य दिवस के पहले लोगों को हंसाने का यह एक नमूना पेश हि. हर लाइन और शब्द को हास्य रस के साथ पढ़ें.
सविता: हैलो! हाँ रामू? जरा बीबी जी को बुलाना, मैं मिसेज दत्ता बोल रही हूँ, अच्छा! क्या कहा, यहीं खडी हैं फोन दो उन्हें!
अनिता पॉल: हैलो! मिसेज पॉल बोल रही हूँ। अरे! दत्ता, मैं तुम्हें ही फोन करने वाली थी। तुम्हें पता है कि सिंघाडे का आटा क्या वैसे ही मलते हैं जैसे गेहूँ का? यार! वो नवरात्रे चल रहे हैं न, व्रत रखे हुए हैं। नौकर से नहीं मलवाना, दरअसल मदर इन लॉ बीमार हैं, वही हर बार मलती हैं।
सविता: मदर इन लॉ? क्या वो फिर आ गई तुम्हारे पास? वो तो भाई साहब के यहाँ ग्रेटर कैलाश में थी। और ये व्रत का क्या चक्कर चलाया है। लोग क्या कहेंगे मिसेज पॉल और नवरात्रों का व्रत?
अनिता पॉल: यार! उन्हें मैंने खुद बुलाया है, उन्हीं के लिए तो व्रत रखे हुए हैं।
सविता: उनके लिए व्रत?
अनिला पॉल: हाँ तुम समझोगी नहीं? वही वसीयत वाली बात, लास्ट किटी पार्टी में बताई नहीं थी? जोर से नहीं बोल सकती ना! ओल्ड गर्ल के कान बडे तेज हैं! भाई साहब, भाभी जी ने उन्हें वश में कर रखा था, मैंने भी कह दिया था कि मम्मी कुछ दिन मेरे पास रहेंगी।
सविता: कैसे बुलाया बुढिया को? वो तो हिलती तक नहीं थी।
अनिता पॉल: हिलती नहीं या हिलाने नहीं दी जाती। यार तू उमा को नहीं जानती, वो तो भाई साहब से भी बढ कर है। रोज रात को सासू के पैर दबाती है, सिर पर पल्ला चढाए रखती है, बडी लालची है। मैं तो पल्ला नहीं चढा सकती, यू नो!
सविता: कुछ लिखाया कि नहीं या तुम भी पैर ही दबा रही हो?
अनिता पॉल: पैर दबाना माई फुट! मेरी तो अपनी कमर में ही दर्द रहता है, मैंने दूसरे मैथड अपनाए हैं, नवरात्रे आ रहे थे मैंने शंखपुष्पी खानी शुरू की ताकि दिमाग कुछ आइडिया दे।
सविता: ह्वाट शंखपुष्पी? क्या हो गया है मिसेज पॉल, स्कॉच की जगह शंख पुष्पी?
अनिता पॉल: दत्ता! यार वो बच्चों के एग्जाम चल रहे हैं न, उनके लिए ही ट्यूटर ने शंखपुष्पी सजेस्ट की थी। बहुत पुराना मास्टर है, कह रहा था कि केबल नहीं हटानी तो दिमाग तेज करो। उसी ने मेरा भी तेज किया। सुनो तुमने ग्रैमी देखी? क्या ड्रेसिज पहनती हैं ये सिंगर लोग स्पेशियली मारिया, क्या क्यूट लग रही थी?
सविता: मैंने इस बार ग्रैमी नहीं देखा, दोनों दिन लेट नाइट पार्टी थी। जसबीर के फार्म हाउस की पार्टी गजब थी, वो बैंकाक वाली टू पीस मैंने वहाँ पहनी थी, छोकरे तक देख रहे थे, दत्ता साहब तो.. अच्छा और क्या मैथड अपनाए?
अनिता पॉल: हाँ मैथड की बात यह कि सासू माँ घर में भी रहेंगी, बच्चे भी एग्जाम के दिनों में घर ही होते हैं, ले जा सकते नहीं, वो होंगी तो बच्चे, स्पेसियली बबली तो बहुत कंफर्टेवली रहता है- दूसरे यार, मैंने सोचा पूरे नवरात्र व्रत रख लेती हूँ- इस बहाने डाइटिंग भी हो जाएगी और ओल्ड गर्ल भी खुश होगी!
सविता: मिसेज पॉल तुम सारे नवरात्रों में व्रत रखोगी? सो मच ऑफ फास्ट, डोंट टैल मी! मेरे ख्याल से पूरे नौ दिन व्रत नहीं रखने होते, बुढिया क्या कहती है?
अनिता पॉल: यार वो तो कहती है अष्टमी मना लो अष्टमी मीन्स आठवां दिन। वे यह भी बता रही थी कि एक दो फास्ट मैं पॉल से शेयर करवा लूँ। पर मैंने तो कहा कि नवमी तक व्रत, फिर दशमी को खोलूंगी।
सविता: क्या! दशमी? डैमिट दशमी तो रामलीला के दिनों में दशहरा को होती है, वैन रावना वाज डिफीटिड एण्ड किल्ड। नवमी पर तो रामजी का हैप्पी बर्थडे होता है, बर्थ डे पर पार्टी होती है, फास्ट नहीं। यू नो! हमें भी घर में ही खाना पड रहा है। वो नॉन वेज वाले कई रेस्तरां तो नौ दिन बंद ही रहेंगे, जो खुले हैं, वहाँ तो अपन नहीं जा सकते। कुक्कू ने वोदका भेजी हुई हैं- बढिया नवरात्रे चल रहे हैं, बहुत दिनों बाद घर में बैठना अच्छा लग रहा है, लॉन भी डेवलेप करवा रही हूँ। हाँ तुम क्या खाती हो?
अनिता पॉल: यार सिंघाडे का आटा, सवां के चावल, कुट्टू का आटा मंगवाया है, इनके पकौडे ओल्ड गर्ल बना देती थीं। अब बीमार हैं। कहा कि आज सिंघाडे के आटे के पकौडे बना लो। तभी तो आटा गूँथने की टेक्नीक समझ रही थी। मैं तो चुपचाप रामू से बनवा लूंगी। ह्वाट डू यू से?
सविता:मिसेज पॉल, आइडिया आया है, तुम्हारी किट्टी पार्टी डयू थी, तुम उसकी जगह कुट्टू पार्टी कर लो। हम सब सुन्दर नगर से व्रत का बना-बनाया सामान ले आएंगे, थोडा चेंज हो जाएगा क्यों?
अनिता पॉल: स्पलेंडिड यार! लेट्स डू इट! मैं फोन करती हूँ। ओल्ड गर्ल इधर ही आ रही है, बाय! नहीं.. नहीं.. जय नवरात्र, जय दुर्गा माँ!
साभार: जागरण
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