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1) आज अगर मैं, जितना भी काबिल बना हूँ
तो सिर्फ़ तेरे प्यार ने बनाया हैं मुझको !
2) एक वक्त वो भी था और एक ये आज हैं
ज़मीं से फलक तक, तेरा प्यार ही लाया मुझको !
3) रहता था बिखरा बिखरा, बेकार सामान की तरह
समेटकर अपने हाथों से, फूलों सा सजाया मुझको !
4) चलने लगा जब भी मैं, अंजान रास्तों की तरफ
हाथ पकड़कर तूने मेरा, रास्ता सही दिखाया मुझको !
5) रिश्तों की अहमियत से बेख़बर था मैं
होता हैं प्यार क्या, तूने ही सिखाया मुझको !
6) नही था मैं तो, ठीक से चलने के भी काबिल
तेरे सहारे ने लेकिन, आसमान में उड़ाया मुझको !
7) उतना ही ज़्यादा प्यार मिला तुमसे मुझे
जितना भी ज़्यादा, लोगो ने सताया मुझको !
8) पाया जब भी कभी, तन्हा मैने खुद को
एक तेरा ही साया पीछे मेरे, नज़र आया मुझको !
9) जब भी किया कभी रुसवा, जमाने ने मुझे
लबों की मुस्कुराहट ने तेरी, खूब हंसाया मुझको !
10) ना थी खबर, ना था ठिकाना अपना मुझे
हर एक अदा ने तेरी, खुद से ही चुराया मुझको !
11) तेरे ख्वाबों का साथ था, जब भी मैं सोया था
कदमों की आहट ने ही तेरी, नींद से जगाया मुझको !
12) देखे ना मुझे कोई और भी तेरे सिवा
आँचल में अपने, यूँ कस के छुपाया मुझको !
13) ना निकाल पाए मुझे, कोई चाहे भी अगर
दिल में कुछ इस तरह, तूने बसाया मुझको !
14) लगता हैं कभी कभी, मेरे दिल को ये
कि खुदा ने तेरे लिए ही, ख़ास बनाया मुझको !
15) मेरे दिल का कोना कोना रोशन किया तुमने
खवाबों की रोशनी देकर, अंधेरे से बचाया मुझको !
16) ये बारिश भी कुछ बेअसर सी लगती हैं मुझे
चाहत की बारिश में तूने, जब से नहलाया मुझको !
17) लोग तो झूलते हैं, लकड़ी के झूले में अक्सर
तुमने तो अपनी आँखों के, झूले में झूलाया मुझको !
18) चुना जो भी रास्ता, चलने की खातिर मैने
पर हर रास्ता तेरी ओर, खींच लाया मुझको !
19) होती नही बर्दाशत, एक पल की नाराज़गी तेरी
रोज बात करने का रोग, तूने ही लगाया मुझको !
20) कोई भाता नही मेरे दिल को तेरे सिवा
तेरे प्यार में अपना ही लगता हैं, पराया मुझको !
21) सजदा करता हूँ उस खुदा का दिन रात मैं
जिनकी रहमत से, “जीत” ने हैं पाया तुझको !
जितेंद्र अग्रवाल “जीत”
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