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“जाधव” किस हाल में हो तुम ?

शब्द बहुत कुछ कह जाते हैं...
शब्द बहुत कुछ कह जाते हैं...
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कारागार में बंद हो या उलझे शुलों के जाल में हो तुम ?
शत्रु की नापाक धरा पर हो या निहित पाताल में हो तुम ?
बाद में दलीलें लाख देना अदालत में “ए सत्ताधारकों”
पहले खबर इतनी सी लो क़ि “जाधव” किस हाल में हो तुम ?

हमारा गला तो तर पर गला तुम्हारा सूखा होगा !
हम तो सोएँ भरपेट पर पेट तुम्हारा भूखा होगा !!
हम तो सब नहा लिए पर तुम ना अभी तक नहाएँ होंगे !
कड़कती धूप में पसीने से ज़्यादा आँसू तुमने बहाएँ होंगे !!
यहाँ तो हैं सब साथ हम पर वहाँ तो तू बिल्कुल अकेला होगा !
नरक में दरिंदो की यातनाओं को जाने कैसे झेला होगा
कल देखी थी एक तस्वीर तुम्हारी, बड़े सुंदर दिखते हो तुम
तस्वीर मे चमकता सफेद शर्ट तेरा “जाधव” अब शायद मैला होगा !!
वर्ष एक बीता पर पता नही तुम्हारा , मन को चुभते हर सवाल में हो तुम !
बाद में दलीलें लाख देना अदालत में “ए सत्ताधारकों”
पहले खबर इतनी सी लो क़ि “जाधव” किस हाल में हो तुम ?

हुकूमत की बड़बोली का गुस्सा तुझसे उतारा होगा !
पहले खूब तुझे धमकाया होगा फिर तुझे मारा होगा !!
फिर तेरी चीख गूँजी होगी शेर की दहाड़ सी वहाँ !
मुँह से निकलती हर चीख ने बंदे मातरम पुकारा होगा !!
घबराओं नही प्यारे, कराएँगे निश्चित ही जल्द आज़ाद तुमको !
अल्लाह करे हिफ़ाज़त तुम्हारी और ईश्वर रखे आबाद तुमको !!
हो ना भयभीत ज़रा भी, शीघ्र ही वक़्त तेरा आयेगा !
अंधकार की घड़िया हैं चन्द, अब जल्द ही सवेरा आयेगा !!
जीतोगे तुम अवश्य ये हैं विश्वास हमारा, जवां खून के उबाल में हो तुम !
बाद में दलीलें लाख देना अदालत में “ए सत्ताधारकों”
पहले खबर इतनी सी लो क़ि “जाधव” किस हाल में हो तुम ?

जितेंद्र अग्रवाल “जीत”

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