Menu
blogid : 24142 postid : 1293085

मन की बात….

शब्द बहुत कुछ कह जाते हैं...
शब्द बहुत कुछ कह जाते हैं...
  • 49 Posts
  • 48 Comments

एक ढलती शाम में बड़े सहज ढंग से की गयी देश के महामहिम द्वारा नोट बंदी की घोषणा पूरे देश में इतनी अफ़रातफ़री फैला गयी जितनी अफ़रातफ़री आज तक कभी किसी आपदा से नही हुई ! जनता मध्य इतनी अफ़रातफ़री और लोगो के माथे की सलवटें स्पष्ट गवाही देती हैं हिन्दुस्तान में मौजूद कालेधन की ! बड़े बड़े लोगो की भूख पिछले कुछ दिनों से यह सोचकर बंद हो गयी कि आख़िर अब इस कालेधन रूपी कचरे का करे क्या ? सारी घोषणा सुनने और समझने के बाद शायद एक ही रास्ता ऐसा बचा नही जिससे हज़ार के लाल और पाँच सौ के पीले नोट किसी भी तरह अपने खाते में बिना किसी आवाज़ और बेफिक्री से जमा हो सके ! बड़े बड़े विद्वान जो आज तक पेचिदगी भरी गणित आसानी से सुलझाते आएँ थे वो अब बेवश हैं , लगता हैं जैसे मोदी का मुखौटा पहनकर चाणक्य सामने आ गया हो ! बेंकों के बाहर लंबी लंबी कतारे लगाएँ लोग खड़े हैं और हर जगह चर्चा का विषय हैं हज़ार और पाँच सौ के नोट ! जिन नोटो को लोग आजतक छुपाते थे अब उन्ही नोटो को ढूँढने में लगे हुए हैं ! आम आदमी जिसके पास अपनी ईमानदारी का रुपया हैं वो थोड़ा हैरान परेशान ज़रूर हो रहा हैं लेकिन उसका ईमान किसी भी तरह की कोई चिंता उसको करने नही दे रहा क्योंकि उसे पता हैं उसकी मेहनत का रुपया उसके खाते में आराम से आ जाएँगा ! लंबी लंबी क़तारों में लगना तो उसकी आदत का एक हिस्सा हैं ! कतारे जीवन में हर जगह लगती हैं क्यूंकी भारत की आबादी इतनी ज़्यादा पहले से ही हो रखी हैं अब क़तारों के बिना तो आम आदमी के लिए कुछ भी पाना संभव नही ! उसे अगर अस्पताल में इलाज करवाना हैं तो भी कतार में लगना पड़ेगा…किसी सहकारी या बड़े बड़े बिग बाजार मॉल से कुछ खरीदना हो तो भी कतार में लगना पड़ेगा इसलिए उसे शायद इतनी परेशानी नही होगी कतार में लगने से….हाँ उन्हे ज़रूर परेशानी होगी जिनका काम आज तक फ़ोन पर होता आया हैं जो धूप में निकलने से परहेज करते हैं ! ईमानदार लोगो ने मेहनत कर पसीना बहाया और धीरे धीरे बचत कर धन संचित किया ! बेईमान लोगो के माथे पर अब पसीना आया हैं क्यूकीं उन्होने ईमानदार लोगो की तरह पहले किसी भी तरह का कोई पसीना नही बहाया ! जैसा की परिवर्तन संसार का नियम हैं जो कल रो रहा था वो आज हंस रहा हैं और जो कल हंस रहा था वो आज रो रहा हैं ! अब ऐसा लग रहा हैं जैसे ग़रीब को ग़रीब होने का दुख नही बल्कि खुशी हैं कि पहली बार उसकी ईमानदारी और स्वाभिमानी की कदर हुई हैं ! एक बात तो तय हैं जो समस्याएँ आज तक बहुत से लोग मिलकर नही सुलझा पाएँ वो समस्याएँ इस ऐतिहासिक फ़ैसले से अपने आप सुलझ जाएगीं ! चाहे वो समस्या आतंकवाद की हो या कालेधन की हो, चाहे वो समस्या आर्थिक विषमता की हो या रिश्वतखोरी की हो ! अब आगामी समय में कुछ जगह सन्नाटा रहेगा जैसे बीयर बार, सट्टा बाजार, वैश्यालय और भी कई जगह जहाँ पैसा उड़ाया जाता था ! शादियों में जो लोग करोड़ो लगाते थे वो बंद हो जाएँगे…वार त्योहारों में जो धूम धड़ाक होती थी जिससे आमजन परेशान होती थी वो सब नही होगा ! सारांश में कह सकते हैं कि जिस शांति की तलाश लोगो को थी वो अब मिल सकती हैं ! क्यूकीं पैसे से पनपने वाली अधिकांश बीमारिया अब मृत्यु शैया पर हैं ! आशा हैं महँगाई का जो गाना रोज बजता था वो अब सुनने को नही मिलेगा…भूमि भवनों की कीमतें गिरने से ग़रीब का खुला सर ढक जाएँगा….जो आदमी ग़रीब होने की वजह से अपने आपको औरो के बराबर खड़ा नही कर पाता था वो भी अब सम्मान की साँस लेगा ! अब सब भारतवासी गर्व से कह सकते हैं कि वो जवान जो आज तक आतंकवाद से अकेले लड़ रहे थे अब वो अकेले नही हैं क्यूकीं अब लंबी लंबी कतारे इस बात का पुख़्ता सबूत हैं कि अब सिर्फ़ सीमा पर खड़े जवान ही नही बल्कि पूरा हिन्दुस्तान लड़ रहा हैं आख़िर मेरा देश बदल रहा हैं आगे बढ़ रहा हैं !
जितेंद्र अग्रवाल “जीत”
मुंबई

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    CAPTCHA
    Refresh