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है प्रिय क्यों आधार सखी ?

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जग मोहन ठाकन , चुरू , राजस्थान . मोब . ०७६६५२६१९६३
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है प्रिये क्यों “ आधार “ सखी ? ( आधार कार्ड पर लेख )
केंद्र की कांग्रेस सरकार द्वारा लागू की जा रही योजनाओं को ढोल पीट पीट कर जन विरोधी बताने वाली भाजपा भी अपनी पुरानी चाल को भूलकर सरकार में आते ही आधार कार्ड योजना को पुनः संचालित करने पर उतारू हो गयी है .कांग्रेसी सरकार की तर्ज पर ही वर्तमान केंद्रीय भाजपा सरकार भी आधार कार्ड को ही सभी योजनाओं का आधार बनाना चाहती है .हजारों करोड़ खर्च वाली इस योजना को जनता अभी हाल में हुए चुनावों में सिरे से नकार चुकी है .

किसी भी सरकार के खिलाफ सत्ता विरोधी माहौल उसकी जन मानस पर लागू की जा रही या न लागू की जा रही योजनाओं से ही बनता है .कांग्रेस सरकार द्वारा बार बार थोपी जा रही आधार कार्ड योजना से जनता तंग आ चुकी थी .चाहे गैस लेनी हो , बैंक में खाता खोलना हो या अन्य सरकारी योजनाओं का लाभ लेना हो , सरकार ने आधार कार्ड को मूल दस्तावेज बनाकर सभी योजनाओं से लिंक करवाना एक लक्ष्य बना लिया था . आम गरीब किसान व मजदूर अपना पूरे दिन का काम छोड़कर आधार कार्ड के चक्कर में ही इधर से उधर घूमने में ही अपना कीमती समय जाया कर देता था .अगर आधार कार्ड का फोटो खिंच भी गया तो महीनों तक सम्बंधित व्यक्ति को आधार कार्ड नहीं मिलता था .समाचारों में ऐसी खबरों की भी भरमार रहती थी कि हजारों आधार कार्ड कूड़ा स्थल पर मिले .
जिस आधार कार्ड को पूर्ण विश्वनीयता एवं एक मात्र आधार दस्तावेज दर्शाया जा रहा था , उसकी विश्वनीयता की पोल तो ‘ बजरंग बलि हनुमान श्री ‘ के आधार कार्ड ने ही खोल दी .अगर सरकार पहले से ही चलन में पहचान दस्तावेजों यथा – वोटर कार्ड ,आई डी कार्ड , पैन कार्ड , राशन कार्ड , ड्राइविंग लाइसेंस आदि को आधार मानने में शंका कर रही है तो इन्हीं दस्तावेजों के आधार पर बनने वाले आधार कार्ड को कैसे खरा सिक्का मान रही है ? क्यों नहीं वोटर कार्ड को ही मूल पहचान दस्तावेज मान लिया जाये . इससे एक तो हर वोट योग्य व्यक्ति अपना वोट अवश्य बनवा लेगा , जिससे लोक तंत्र का आधार मजबूत होगा , दूसरा आधार कार्ड जैसी नई निराधार योजनाओं पर हजारों करोड़ रुपये बर्बाद नहीं होंगे .
जब बैंकों में सी बी एस प्रणाली लागु की गयी तो खाता धारकों के पुराने खातों को चौदह या सोलह अंकों का स्वरुप देकर तथा आई एफ एस सी कोड का प्रयोग करके एक राष्ट्रीय पहचान दे दी गयी . जिसमें न हींग लगी, न फिटकरी और रंग भी चोखा आया . खाताधारक को किसी भी प्रकार की असुविधा नहीं हुई और किसी भी बैंक से किसी भी अन्य शाखा या बैंक में राशि का अंतरण संभव व सुलभ हो गया .ए टी एम की सुविधा मिली वो अलग से .इसी प्रकार वोटर कार्ड की संख्या को भी राष्ट्रीय स्तर पर एक विशिष्ठ कोड ( इसमें पिन कोड का प्रयोग भी किया जा सकता है ) देकर सर्व स्थल पर मान्य दस्तावेज बनाया जा सकता है .इससे वर्तमान केंद्रीय भाजपा सरकार का डिजिटल इंडिया का सपना व लक्ष्य दोनों ही पूरे भी हो जायेंगे . परिवार में अठारह वर्ष से कम आयु के सदस्यों को परिवार के मुखिया की वोटर कार्ड की विशिष्ठ संख्या से लिंक किया जा सकता है .
कानूनी धरातल पर भी आधार कार्ड योजना अपना आधार सिद्ध नहीं कर पाई . सुप्रीम कोर्ट तक ने आधार कार्ड की बाध्यता को सिरे से नकार दिया .परन्तु न जाने क्यों —-
“ कोई हो सरकार सखी ,
है प्रिये, क्यों आधार सखी ? . “

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