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HINDI KAVITA KATORA HAATH MEIN LEKAR

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कविता
कटोरा हाथ में लेकर
जग मोहन ठाकन
जल रही हैं युवतियां , तंदूरी खानों में
भेद कुछ दिखता नहीं ” इंसा ” स्वानों में ।
”बाणा सफेद वो लेकर ,धंधा काला करते हैं
कन्या ”षोडशी चाहिए उन्हें हर बार नजरानों में।
खाकर ”पाशिवक चारा बने सिरमौर बैठे हैं
कैसे उनको ना गिनंू शैतान हैवानों में ?
कटोरा हाथ में लेकर फक्र महसूस करते हैं
गैरत कहां बची है मेरे देश के हुक्मरानों में ?
गारन्टी फूड कवर में ,मिठठी चूसनी देकर
बनाकर मूर्ख जनता को , लिखाते नाम सयानों में ।
स्थायी पता पूछते हैं , बताउं कौन सा ”ठाकन
उम्र गुजार दी सारी , किराये के मकानों में ।
जग मोहन ठाकन ,114, गी्रन पार्क ,हिसार , हरियाणा ।

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