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बिहार में ओबेशी के आगमन के मायने ?

RAJESH _ REPORTER
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हैदराबाद से लोकसभा सांसद और एमआईएम पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष असद उद्दीनओबेसी आज बिहार के मुश्लिम बहुल किशनगंज जिले में पहुंचे जहा एक जनसभा को सम्बोधित करते हुए उन्होंने नितीश कुमार पर जम कर हमला बोला यही नहीं ओबेशी ने लालू यादव और कांग्रेस को भी कटघरे में खड़ा करते हुए मुसलमानो के पिछड़े पन का जिम्मेवार बताया और कहा की नितीश कुमार विकास विकास का नारा लगते है लेकिन नितीश कुमार विकास के सबसे बड़े विरोधी है २००५ से सत्ता में रहते हुए नितीश कुमार को सिर्फ एक इलाके का विकास दिखता है यही नहीं मुसलनाओ का विरोधी बताते हुए नितीश कुमार को गोधरा ट्रैन अग्निकांड का प्रायोजक बता डाला .हलाकि भाजपा पर भी हमला बोलते हुए प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी को कटघरे में खड़ा किया और आर्टिकल ३७१ के तहत सीमांचल को विशेष पैकेज देने की मांग की लेकिन इस इलाके में उनके दौरे का असर भाजपा को कम और महागठबंधन को अधिक होगा . गौरतलब हो की लोकसभा चुनाव में हार के बाद नितीश कुमार ने लालू प्रसाद यादव से गठबंधन किया ताकि जो मुश्लिम वोट अभी तक लालू के खाते में था वो अब गठबंधन को प्राप्त हो जायेगा लेकिन अब ओबेशी एक नई चुनौती के रूप में महागठबंधन के सामने उभर कर आये है जिससे निकलने के लिए महागठबंधन को कठिन परीक्षा पास करनी होगी .बिहार में अठारह प्रतिशत मुश्लिम मतदाता है जिसपर अभी तक नितीश कुमार लालुयादव और कांग्रेस का एकाधिकार रहा है लेकिन ओबेशी के किशनगंज आगमन से सियासत पूरी तरह गर्मा गई है और बड़ी तादाद में लोग ओबेशी को अपना रहनुमा मानने लगे है . सोशल मीडिया प्रयोग करने वाला युवाओ का एक बड़ा तबका ओबेशी में अपना नेता देखने लगा है जो की महागठबंधन के लिए सरदर्द साबित होगा क्योकि आज जिस प्रकार से ओबेशी ने आकड़ो के अनुसार बिहार के सियासी दलों पर हमला बोला है इससे जाहिर होता है की विधान सभा चुनाव में वो सीमांचल के इस क्षेत्र में जिसमे की पूर्णिया अररिया कटिहार किशनगंज शामिल है और विधान सभा की लगभग ४० सीट इन जिलो में आती है और बड़ी संख्या में मुश्लिम मतदाता है में अपने उम्मीदवार खड़े करेंगे हलाकि ओबेशी ने पूरी तरह पत्ता नहीं खोला है और उनका कहना है की जनता जनार्दन जो फैसला करेगी सर आँखों पर होगा गौरतलब हो की ओबेशी को यहाँ अख्तरुल ईमान जो की लोकसभा चुनाव जनता दल यूनाइटेड की टिकट पर लड़ते लड़ते खुद को चुनाव से अलग कर लिया था और कहा था की भाजपा को रोकने की खातिर वो चुनाव से खुद को अलग कर रहे है ने किशनगंज में बुलाया है और यह बात किसी से छुपी नहीं है की अख्तरुल ईमान के मैदान से हटने के बाद इस सीमावर्ती इलाके में भाजपा को सभी सीटो पर हार का सामना करना पड़ा था और सभी सीट महागठबंधन के खाते में चली गई थी और अब मुश्लिम वोटो का धुर्वीकरण यदि एमआईएम के पक्ष में होता है तो सहज अंदाज़ा लगाया जा सकता है की इसका सीधा असर महागठबंधन पर होगा .

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