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श्री राम जन्म भूमि संघर्ष ?

RAJESH _ REPORTER
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राज सत्ता के लिए भले ही राम जन्म भूमि और मंदिर कोई स्थान ना रखता हो लेकिन भगवन राम हमारे आराध्य है और रहेंगे भगवन राम का भव्य मंदिर अयोध्या में बने यह देश के करोडो हिन्दुओ की मांग हमेसा से रही है और आगे भी रहेगी क्योकि यह हमारी आस्था का प्रतिक है यही नहीं
हमारे पूर्वजो ने कभी श्री राम जन्म भूमि मंदिर पर अपना दावा कमजोर नहीं होने दिया .१५२८ में बाबर की अनुमति से मीर बाकी ने मंदिर को तोड़ कर बाबरी मस्जिद बनवाई लेकिन अयोध्या में रहने वाले हिंदू कभी हार नहीं माने तब से ही अपना विरोध जारी रखा इतिहास कारो के अनुसार 1534 इसवी में अयोध्या में पहला दंगा हुआ और कई गुम्बजो को तोड़ दिया गया उसके बाद मुश्लामानो ने यहाँ नमाज अता करनी बंद कर दी .बाबर के बाद औरंगजेब का इस इलाके में मृत्यु पर्यंत कब्ज़ा बरक़रार रहा लेकिन विवाद कम नहीं हुआ था
वीर हिन्दुओ ने मुश्लिम आक्रंताओ के समक्ष कभी झुकना मंजूर नहीं किया १५३० से १५५६ इसवी तक हुमायु के साशन काल में दस बार युद्ध हुए एक महिला रानी जय राज कुमारी तथा स्वामी महेस्वरानंद ने बार बार गोरिल्ला युद्ध के जरिये आक्रंताओ को शिकस्त दी और उन्हें छट्टी का दूध याद दिलाया लेकिन हिन्दुओ की रणनीति कही ना कही कमजोर साबित हुई अंतत पहले स्वामी महेस्वरानंद और बाद में रानी साहिबा सहीद हो गई ?क्या इतिहास इनकी सहादत को कभी भुला सकता है /
१७३४ इसवी में मुह्हमद सहादत साह गद्दी पर बैठा तब बुरहान उन मुल्क सादत अली खान अवध का गवर्नर बना उसके साशन काल में पुन्ह हिन्दुओ ने राम जन्म भूमि पर अपना दावा किया .इतिहाश कारो के अनुसार यही सबसे पहला मुकदमा ज्ञात हुआ है .१७६३ से १८३६ तक ५ बार अमेठी के राजा गुरु दत्त सिंह और पिपरा के राजा राज कुमार सिंह के नेतृत्व में मुग़ल सल्तनत को चुनौती दी गई तब जा कर मुगलिया सल्तनत ने हिन्दुओ से हार मानते हुए यहाँ पूजा और नमाज दोनों की मंजूरी प्रदान की तत्पश्चात हमारे रन बाकुरो ने यहाँ पूजा आरम्भ तो करवा दिया लेकिन उनकी मांग यही रही की मस्जिद को पूरी तरह हटाया जाय और ऐसा उन्होंने किया भी इस दौरान चार बार युद्ध हुए जो की बाबा उद्धव दास और भाटी नरेश के नेतृत्व में लड़े गए हार मान कर नबाब वाजिद अली साह ने तीन सद्शिया कमिटी का गठन किया गया जिसमे एक मुश्लिम और एक हिन्दू और तीसरा ईस्ट इंडिया कंपनी का मुलाजिम थे जिसमे यह बात सामने आई की मीर बाकी ने मंदिर को तोड़ कर मस्जिद बनवाई लेकिन दुर्भाग्य से १८५६ में अंग्रेजो का अवध पर कब्ज़ा हो गया और अंग्रेजो ने पुनः दोनों समुदाय को यहाँ पूजा और नमाज की अनुमति दे दी लेकिन गौर करने वाली बात है की हजारो प्रायशो के बाद भी हमारे पूर्वजो ने यहाँ पूजा अर्चना कभी बंद नहीं की १८५७ इसवी जहा स्वतंत्रता आन्दोलन के लिए भी महत्वपूर्ण तारीख थी और स्वतंत्रता हेतु आवाज बुलंद हो चुकी थी वही राम जन्म भूमि भी ऐतिहासिक स्थान रखता है क्योकि इसी साल बहादुर साह जफ़र और आमिर अली द्वारा राम जन्म भूमि स्थल हमें देने का निर्णय लिया गया और हिन्दुओ ने एक कदम आगे बढ़ते हुए बहादुर साह जफ़र को भारत का सम्राट घोषित कर दिया …………………………….
तमाम जानकारी अलग अलग इतिहाश कारो द्वारा लिखी गई पुस्तको से .
.शेष अगले भाग में

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