Menu
blogid : 133 postid : 1441

पाकिस्तान से जवाब का इंतजार

संपादकीय ब्लॉग
संपादकीय ब्लॉग
  • 422 Posts
  • 640 Comments

अमावस की काली रात को ओसामा बिन लादेन की मौत के बाद फेसबुक पर जिन टिप्पणियां की बाढ़ आई उनका लब्बोलुआब था-वाह! शैतान मारा गया। रात को व्हाइट हाउस, ग्राउंड जीरो और अन्य जगहों पर लोग खुशी से पागल होकर चिल्ला रहे थे-यू-एस-ए। 9/11 के करीब एक दशक बाद आखिर लादेन की तलाश पूरी हो ही गई। अब अमेरिकी खुद को कम असहाय महसूस कर रहे होंगे और उसकी मौत से जो संदेश गया है उस पर प्रसन्न होंगे-हम पर हमला करोगे तो हम तुम्हे मिटा देंगे और तुम बचकर नहीं निकल सकते।


हममें से बहुत से लोगों को बिन लादेन की इस छवि पर यकीन नहीं है कि एक बूढ़ा आदमी पहाड़ों में भटकता फिर रहा है और अफ-पाक सीमा पर किसी गुफा में फूल-पत्ती और कीड़े-मकौड़े खाकर किसी तरह समय काट रहा है। यह कैसे संभव था कि सवा छह फुट का एक असाधारण रूप से लंबा व्यक्ति एक ऐसे देश में जहां औसत लंबाई पौने छह फुट से भी कम है, बिना किसी का ध्यान खींचे दस साल तक घूमता रहे, वह भी तब जब विश्व के आधे सेटेलाइट उसकी खोज कर रहे थे? यह समझ से परे है। बिन लादेन का जन्म एक अमीर खानदान में हुआ था और वह मरा भी एक अमीर आदमी के मकान में। इस मकान का निर्माण विशेष तैयारियों के साथ हुआ था। अमेरिकी प्रशासन ने भी स्वीकार किया कि वह इस मकान के डिजाइन को देखकर चकित रह गया।


हम सब सुनते आ रहे है और मुझे पाकिस्तान के पत्रकारों ने एक से अधिक बार बताया है कि कि शक्तिशाली और खूंखार आइएसआइ ने मुल्ला उमर को बलूचिस्तान के क्वेटा शहर में किसी स्थान पर सुरक्षित पनाह दी हुई है। एबटाबाद में छापे के बाद पाकिस्तान को अनेक बड़े सवालों के जवाब देने होंगे। अब इस तरह की हैरानी जताना बेमानी है-कौन, हम? हमें तो कुछ भी नहीं पता। यह तो अपने कुकर्मो को छिपाना हुआ। अमेरिका जैसे देश को इसकी अनुमति नहीं देनी चाहिए। अमेरिका यह जानते-बुझते भी पाकिस्तान को अपना साथी मानता है कि वह दोहरी चाल चल रहा है। उदाहरण के लिए यह हक्कानी नेटवर्क समर्थन दे रहा है, जो अफगानिस्तान में सैकड़ों अमेरिकी फौजियों को मौत के घाट उतार चुका है। इस बार तथ्य खुद ही हकीकत बयान कर रहे है। विश्व का सबसे वांछित आतंकी ओसामा बिन लादेन एबटाबाद मिलिट्री एकेडमी से महज 800 गज की दूरी पर एक ऐसे मकान में रह रहा था, जहां पक्की सड़क तक नहीं जाती। यह मकान कैंट इलाके में है, जहां कोने-कोने पर पाकिस्तान के सैनिक रहते है। यह शहर पाकिस्तान की राजधानी इस्लामाबाद से महज 80 मील की दूरी पर है। इस विशाल भवन में न तो टेलीफोन था और न ही इंटरनेट कनेक्शन। इस सबके बावजूद क्या हम यह मान लें कि पाकिस्तान नहीं जानता था कि ओसामा बिन लादेन वहां रह रहा था और पाकिस्तानी सेना, आइएसआइ और नागरिक प्रशासन एबटाबाद में उसकी उपस्थिति महसूस नहीं कर पाए, जबकि इस बीच वह अलकायदा को चलाता रहा और संदेशवाहक पांच साल तक वहां आते-जाते रहे।


26 नवंबर, 2008 को मुंबई पर हुए आतंकी हमले में बुरी तरह जख्मी भारत पहले से ही पाकिस्तान से अनेक सवालों का जवाब मांग रहा है। जहां तक भारत विरोधी जिहादी समूहों, जैसे लश्करे-तैयबा, जैशे-मुहम्मद का संबंध है, यह पुष्ट हो चुका है कि पाकिस्तान कश्मीर पर छद्म युद्ध के औजार के तौर पर इन्हे इस्तेमाल करता है और इन्हे सुरक्षित पनाह देता है। पिछले कुछ वर्षो से ये समूह तथाकथित पाकिस्तानी तालिबान के पास आतंकवाद के नए तरीके तलाशने के लिए जा रहे है। ध्यान देने की बात यह है बिन लादेन की मौत का बदला लेने की सबसे पहली धमकी अलकायदा के प्रवक्ता की ओर से नहीं, पाकिस्तानी तालिबान की ओर से आई है।


भारत को पाकिस्तान आंख की किरकिरी मानता है और वास्तव में यही उसके दोहरे खेल का कारण है। पाकिस्तान भारत के अफगानिस्तान में बढ़ते प्रभाव को लेकर बेहद चिंतित है। समस्या यह है कि पाकिस्तान को लगता है कि अफगानिस्तान से तालिबान के सफाए के बाद यह भारत का मित्र देश बन जाएगा और इस प्रकार पाकिस्तान दो शत्रु देशों के बीच में फंस जाएगा। विश्व समुदाय को भारत को लेकर पाकिस्तान के विभ्रम को कमतर नहीं आंका जाना चाहिए।


लंबे समय से अमेरिका पाकिस्तान के दोहरे खेल को इसलिए झेल रहा है, क्योंकि अफगान युद्ध में उसे पाकिस्तानी सहायता की आवश्यकता है। अमेरिका को भरोसा है कि पाकिस्तानी नेता समझ जाएंगे कि उनका आकलन बिल्कुल गलत है और जिहादियों का असल उद्देश्य पाक सत्ता हथियाना है। परमाणु हथियारों से लैस पाकिस्तान अफगानिस्तान की तुलना में जिहादियों के लिए बड़ा इनाम है। आज जो जनरल और आइएसआइ के मुखिया अलकायदा की चालें चल रहे है, कल को वही उनके शिकार बन जाएंगे। इस बात की उम्मीद नजर नहीं आती कि पाकिस्तानी सत्ताधारियों को जल्द ही इतनी समझ आ जाएगी। ओसामा बिन लादेन का परिसर पाकिस्तान की आत्मघाती मूर्खताओं का एक और नमूना है। समूचा विश्व आतंकियों के प्रतिशोध को लेकर चिंतित है। विश्व को पाकिस्तान से कड़े सवालों के संतोषजनक जवाब की मांग करनी चाहिए। अगर पाकिस्तान इन सवालों के जवाब नहीं देता तो समय आ गया है जब पाक को आतंकी राष्ट्र घोषित कर देना चाहिए और इसे विश्व बिरादरी से बाहर खदेड़ देना चाहिए।


[सलमान रुश्दी: लेखक प्रख्यात साहित्यकार है]


[साभार : द डेली बीस्ट]


Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    CAPTCHA
    Refresh