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माँ के पूरक रूप के ममत्व और प्रेम की छाया हम सभी पर कभी ना कभी अवश्य रही है. हमें जब भी जरूरत हुयी पिता ने हर कष्ट सह कर भी हमारी उस जरूरत को पूरा किया. वो हँसना-हँसाना, रूठना-मनाना चलता रहा फिर भी पापा की सबसे बड़ी चिंता यही रही कि कैसे हमारा जीवन सुखी रहे, कैसे वो खुद ही हमारे सारे दुःख हर लें और दुनियां की सारी खुशियाँ हमारी झोली में डाल दें.
आज जिन्दगी में बढ़ रहे तनाव और भागमभाग ने पिता और हमारे बीच दूरियां ला दी हैं. बड़े शहरों में तो कई लोग इतने स्वार्थी हो चुके हैं कि अपने बूढ़े पिता को वृद्ध आश्रम में छोड़ देते हैं. क्या इससे भी बढ़कर हैवानियत कुछ और हो सकती है. जब पिता को हमारी सबसे ज्यादा जरूरत होती है तो हम उनसे मुंह मोड़ लेते हैं. जबकि उसी पिता ने अपने अरमानों का खून करके हमारी हर खुशी के लिए सब कुछ किया.
दुनियां में सबसे पहले फादर्स डे 19 जून, 1910 को वॉशिंगटन में मनाया गया था. सोनेरा स्मार्ट डोड नाम की महिला ने इसे मनाने की शुरुआत की थी. धीरे-धीरे फादर्स डे मनाने का चलन लगभग पूरी दुनियां में फ़ैल गया.
जून माह के तीसरे रविवार को मनाया जाने वाला फादर्स डे इस बार 20 जून को है. हमें भी इस दिन अपने पापा को ब्लॉग के माध्यम से अपनी कृतज्ञता अर्पित करनी चाहिए और सारे जहाँ को पिता के प्यार और उनके महत्व से रूबरू करवाना चाहिए.
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